लॉकडाउन में आज ईद , जानिए कैसे हुई थी इस त्योहार की शुरुआत
लखनऊ। कोरोना लॉकडाउन के बीच इस बार ईद पर वह रौनक नहीं दिखेगी। सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए लोगों से एक-दूसरे से गले ना मिलने की अपील की जा रही है। बता दें कि रमजान महीने में 30 दिन रोजा रखने के बाद मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्योहार ईद-उल-फितर मनाया जाता है। इससे पहले दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने रविवार को ईद का चांद दिखने की पुष्टि की।
दिल्ली के प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरुओं ने रविवार को लोगों से अपील की कि वे ईद मनाते समय सामाजिक मेलजोल से दूरी के नियम पर अमल के साथ-साथ लॉकडाउन नियमों का पालन करें। फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि चांद दिख गया है और सोमवार को ईद मनायी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘हमने लोगों से एक-दूसरे को गले लगाने और हाथ मिलाने से बचने के लिए कहा है।’
पहला ईद उल-फितर पैगम्बर मुहम्मद ने जंग-ए-बदर के बाद मनाया था। ईद उल-फ़ितर शव्वल इस्लामी कैलंडर के दसवें महीने के पहले दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलंडर के सभी महीनों की तरह यह भी नए चांद के दिखने पर शुरू होता है।
इस ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। रोज़े खत्म की खुशी के अलावा, इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।
ईद प्यार और सद्भावना का त्योहार है। ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त, नए कपड़े भी पहने जाते हैं, और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। ईद उल-फ़ितर के दौरान ही झगड़ों ख़ासकर घरेलू झगड़ों को निबटाया जाता है। ईद के दिन मस्जिद में सुबह की प्रार्थना से पहले, हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान करे।