नक्शा जारी कर नेपाल ने भारत की इन जगहों को बताया अपना

नेपाल की सरकार ने नए राजनीतिक नक्शे को आधिकारिक तौर पर जारी कर दिया है। इस नए नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है। सोमवार को हुई नेपाल कैबिनेट बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का संशोधित नक्शा जारी किया था, जिसका सबने समर्थन किया था।

इसके बाद आज यानी बुधवार को भूमि प्रबंधन मंत्री पद्मा आर्या ने आधिकारिक राजनीतिक नक्शा जारी कर दिया है। दरअसल, 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था, जिसे लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने भी कहा था कि वह एक इंच जमीन भारत को नहीं देंगे। वहीं, सरकार के एक मंत्री ने कहा कि सरकार भारत की तरफ से हो रहे अतिक्रमण को लंबे वक्त से बर्दाश्त कर रही थी, लेकिन फिर भारतीय रक्षा मंत्री ने लिपुलेख में नई सड़क का उद्घाटन कर दिया। भारत हमारी वार्ता की मांग को गंभीरता से ले रही है।

क्या है नेपाल का दावा

सुगौली संधि के आधार पर नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर अपना दावा पेश करता है। नेपाल और ब्रिटिश भारत के बीच 1816 में सुगौली की संधि हुई थी, जिसके तहत दोनों के बीच महाकाली नदी को सीमारेखा माना गया था। विश्लेषकों का कहना है कि भारत-नेपाल सीमा विवाद महाकाली नदी की उत्पत्ति को लेकर ही है।

नेपाल का कहना है कि महाकाली नदी लिपुलेख के नजदीक लिम्पियाधुरा से निकलती है और दक्षिण-पश्चिम की तरफ बहती है, जबकि भारत कालपानी को नदी का उद्गमस्थल मानता है और दक्षिण और आंशिक रूप से पूर्व में बहाव मानता है। इसी वजह से दोनों देशों के बीच विवाद है।

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