केंद्र सरकार कच्चे माल के आयात दामों में कर सकती है कटौती

 देश में जरूरी चीजों की कमी एवं उनके दाम में बढ़ोतरी की आशंका को टालने के लिए सरकार कई कच्चे माल के आयात शुल्क में कटौती कर सकती है। चीन में फैले कोरोना वायरस की वजह से कई जरूरी वस्तुओं के निर्माण के लिए कच्चे माल की कमी होने की आशंका है। इस वजह से उन वस्तुओं के दाम भी बढ़ सकते हैं। इनमें फार्मा, ऑटो पार्ट्स, खाद एवं उर्वरक, मेडिकल उपकरण, अकार्बनिक रसायन एवं टेक्सटाइल क्षेत्र के आइटम शामिल हैं। इन क्षेत्रों के लिए 60-70 फीसद कच्चे माल की आपूर्ति चीन से होती है।

उद्यमियों ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से चीन में अभी उत्पादन सुचारू नहीं हुआ है। अगर अगले महीने तक चीन कोरोना वायरस से उबर भी लेता है तब भी सामान्य गति से उत्पादन आरंभ होने में एक माह लग जाएगा। फिर, चीन से भारत तक कच्चे माल की आपूर्ति होने में कम से कम एक माह और लग जाएगा।

उद्यमियों ने बताया कि वे कच्चे माल के लिए चीन के अलावा अन्य देशों से आयात के विकल्प तलाश रहे हैं। लेकिन दूसरे देशों से कच्चे माल का आयात चीन के मुकाबले 20-25 फीसद तक महंगा होगा। कच्चे माल की कीमत अधिक होने पर तैयार वस्तुओं की कीमत भी अधिक होगी। इससे घरेलू स्तर पर महंगाई बढ़ने के साथ निर्यात भी प्रभावित होगा।

उद्यमियों ने बताया कि उन्होंने सरकार से जरूरी एवं रोजगारपरक क्षेत्र की वस्तुओं से जुड़े कच्चे माल के आयात शुल्क में कटौती की गुजारिश की है और सरकार की तरफ से उन्हें इस दिशा में मदद का आश्वासन दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए करीब 15 दिन पहले विभिन्न औद्योगिक संगठनों के साथ बैठक की थी। मंगलवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल निर्यातकों के साथ कच्चे माल की आपूर्ति एवं अन्य मसलों पर बैठक करने वाले हैं।

औद्योगिक संगठन सीआइआइ ने भी आयात शुल्क में कटौती की सिफारिश सरकार से की है। सीआइआइ ने कहा है कि हाल के समय में सरकार की तरफ से कई आइटम के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की गई है। संगठन का कहना है कि मौजूदा हालात में आयात शुल्क में कमी करना आवश्यक हो गया है। सीआइआइ ने सरकार से एनपीए रेगुलेशन में भी छूट देने की मांग की है।

सीआइआइ ने अपनी सिफारिश में कहा है कि सप्लाई चेन के बाधित होने से कई उद्यमियों को कार्यशील पूंजी की दिक्कत हो जाएगी और वे समय पर उधार नहीं चुका पाएंगे। ऐसी स्थिति में उन्हें एनपीए करार देने से दूर रखा जाए।

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