पुलिस की साइबर सेल के पास पिछले तीन महीने में आई 80 में से 55 शिकायतें रुपये मांग कर खाते साफ करने की हैं। इनमें लगभग 10 लाख रुपया गया है।
साइबर अपराधी ठगी के नये-नये हथकंडे अपना रहे हैं। कभी रिश्तेदार बनकर फोन करते हैं तो कभी बैंक अधिकारी। अगर थोड़ी सी भी चूक हुई तो खाते से रकम गायब। आगरा में साइबर ठगी के ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
साइबर अपराधी पेटीएम, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, बैंक खाता अपडेट कराने के लिए एसएमएस, व्हाट्स एप मैसेज भेज रहे हैं, फोन कर रहे हैं। जो भी झांसे में आता है, उसे एप डाउनलोड कराते हैं। इसके बहाने वो स्क्रीन शेयर एप डाउनलोड करा देते हैं।
अब आप स्क्रीन पर जो भी टाइप करते हो, वह उन्हें नजर आता है। आपसे एक रुपया भेजने के लिए कहते हैं, इसके लिए आप डिटेल भरते हो, सीवीवी नंबर डालते हो, इसी की मदद से वह आपके खाते से रकम निकाल लेते हैं।
किरावली के युवक के 1.50 लाख निकाले
किरावली के युवक अजहर हुसैन के पास बैंक खाते की केवाईसी (नो योर कस्टूमर) अपडेट कराने के लिए फोन आया। उन्हें एप डाउनलोड कराया गया। इसे चालू कराने के लिए एक रुपया भेजने के लिए कहा। उसने जैसे ही पेटीएम में डिटेल डाली, खाते से 60 हजार साफ हो गए।
बोदला के दुकानदार के 14 हजार उड़ाए
बोदला के दुकानदार महेंद्र सिंह से एप डाउनलोड कराया। इसे चालू कराने के लिए एक रुपया ट्रांसफर करने के लिए कहा। थोड़ी देर में खाते से 14 हजार साफ हो गए।
जगदीशपुरा की महिला के 37 हजार गए
एक जनवरी को जगदीशपुरा की रवीना के पास फोन आया कि खाता बंद होने वाला है, अपडेट करा लें, उन्हें एप डाउनलाइन कराया। इसे चालू कराने के लिए एक रुपया पेटीएम से भेजने के लिए कहा। ऐसा करते ही 37 हजार कट गए।
न एप डाउनलोड करें… न रकम भेंजे
जिला साइबर सेल प्रभारी अमित कुमार का कहना है कि किसी के कहने पर कभी कोई एप डाउनलोड नहीं करना चाहिए। मोबाइल पर आने वाले अंजान लिंक पर भी क्लिक न करें। एक, दो, तीन, पांच और दस रुपये जमा करने के लिए कहता है तो लिंक को खोले नहीं।
लिंक से खुलने वाले पेज पर भरी गई गोपनीय, निजी, बैंक संबंधी, ओटीपी, पासवर्ड, सीवीवी, पिन, यूपीआई पिन आदि की जानकारी धोखाधड़ी करने वाले के पास चली जाती है। इसके बाद वह खाते से गलत तरीके से पैसा निकाल जा सकता है।
फोन पर पेटीएम की केवाईसी अपडेट करने वाले पर भरोसा नहीं करें। पेटीएम एप के अंदर ही सभी सुविधाएं खुद ब खुद मिल जाती हैं।