कश्मीर पर तुर्की और पाक के बयान को MEA ने किया खारिज
पाकिस्तान दौरे पर आए तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर एक सुर में फिर से कश्मीर राग छेड़ा है। पाकिस्तान की संसद के संयुक्त सत्र को रिकॉर्ड चौथी बार संबोधित करते हुए एर्दोगन ने कहा, तुर्की कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन करता रहेगा क्योंकि यह दोनों के लिए अहम है। इस विवाद का हल संघर्ष या उत्पीड़न से नहीं बल्कि न्याय और निष्पक्षता से निकाला जा सकता है। भारत ने पाक और तुर्की के इस साझा बयान को पूरी तरह से खारिज करते हुए कहा है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है, भारत अपने अभिन्न हिस्से कश्मीर पर सभी तरह के रिफरेंसेस को पूरी तरह से खारीज करता है। हम तुर्की के नेतृत्व से कहना चाहते हैं कि वो भारत के अंदरुनी मामलों में दखलंदाजी ना करे और सभी मामलों में सत्यता को जानें। इसमें यह भी शामिल है कि किस तरह पाकिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद भारत के लिए खतरा है।
बता दें कि भारत की आपत्तियों के बावजूद बिना नाम लिए अनुच्छेद-370 को खत्म करने का हवाला देते हुए एर्दोगन ने कहा, हमारे कश्मीरी भाईयों और बहनों को दशकों से असुविधाओं का सामना करना पड़ा है और हाल के दिनों में उठाए गए एकतरफा कदमों से इनमें बढ़ोतरी हुई है। कश्मीर का मुद्दा हमारे लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना पाकिस्तान के लिए।”
तुर्की के राष्ट्रपति ने इस दौरान कश्मीरियों के संघर्ष की तुलना तुर्की में लड़े गए गैलीपोली के युद्ध से की। उन्होंने कहा कि गैलीपोली और कश्मीर के बीच कोई अंतर नहीं है, इसलिए तुर्की कश्मीर के मुद्दे को हमेशा उठाता रहेगा।
क्या था गैलीपोली का युद्ध
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान फरवरी, 1915 से जनवरी, 1916 के बीच गैलीपोली प्रायद्वीप पर यह जंग लड़ी गई थी। कई महीनों की लड़ाई के बाद ब्रिटेन, फ्रांस समेत सहयोगी देशों की सेनाएं पीछे हट गई थीं। गैलीपोली की लड़ाई तुर्की के ओटोमन साम्राज्य के लिए बड़ी जीत थी। इसे तुर्की के इतिहास में निर्णायक क्षण माना जाता है। इस लड़ाई में दोनों पक्षों के दो लाख से ज्यादा सैनिक मारे गए थे।