बजट में घर के किराये से होनी वाली आय पर ये हो सकती है घोषणा
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर काफी कम हो गई है। सभी क्षेत्रों पर दबाव बना हुआ है। लोगों के हाथ में कम पैसे आ रहे हैं, जिससे मांग में कमी है और इसकी वजह से बाजार में भी सन्नाटा पसरा है। हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योगों में कई छूट देकर अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने की कोशिश की है, लेकिन अभी भी वांछित नतीजे नहीं मिल पाए हैं। ऐसे में आगामी बजट में लंबे समय से चली आ रही मंदी से निपटने के लिए बजट को तैयार करने की कठिन चुनौती का उन्हें सामना करना होगा।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि राष्ट्रीय उपभोग में तेज गिरावट की वजह से अर्थव्यवस्था पर यह दबाव बना है। रियल एस्टेट क्षेत्र उन क्षेत्रों में से एक रहा है, जो सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मांग को बढ़ावा देने के लिए किराये से होने वाली आय में तत्काल सुधार करने और उद्योग को पुनर्जीवित करने की जरूरत है।
वर्तमान में जिस तरह से संपत्ति पर आय एकत्र की जाती है, वह उसके प्रकार पर निर्भर करती है। उसके सकल वार्षिक मूल्य (जीएवी), नगरपालिका शुल्क से संबंधित किसी भी कटौती, संपत्ति के शुद्ध वार्षिक मूल्य (एनएवी), मानक कटौती और लोन ली गई पूंजी पर अर्जित ब्याज पर निर्भर करती है। नए नियम के अनुसार यदि करदाता एक से अधिक घर का मालिक है, तो दोनों संपत्तियों को स्व-कब्जे वाला माना जाएगा। अतिरिक्त संपत्तियों को किराये के रूप में माना जाता है।
सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत 2022 तक सभी के लिए किफायती आवास उपलब्ध कराने की बात कही है। इसे देखते हुए आगामी बजट में होम लोन की मद में किए जाने वाले भुगतान पर मिलने वाली टैक्स छूट पर नजर रहेगी।