निर्भया केस में एक और मोड़, पटियाला हाउस कोर्ट से दोषियों की गुहार- 1 फरवरी को न हो फांसी

निर्भया केस में एक और नया ट्विस्ट आया है। 1 फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग के लिए दोषियों के वकील ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, निर्भया केस में मौत की सजा का सामना कर रहे दोषियों के वकील ने एक फरवरी को तय फांसी पर स्थगन की मांग के साथ दिल्ली की अदालत का रुख किया है।

वकील एपी सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया कि दिल्ली जेल नियम के अनुसार, एक ही अपराध के चारों दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता, जब तक कि अंतिम दोषी दया याचिका सहित सभी कानूनी विकल्प नहीं आजमा लेता। 

बता दें कि निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में मौत की सजा पाए एक अन्य दोषी विनय शर्मा ने जहां बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दायर की, वहीं एक अन्य दोषी अक्षय ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष क्यूरेटिव पिटिशन दायर की, जिस पर आज सुनवाई होनी है।

दरअसल, निचली अदालत ने चारों दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने के लिए 17 जनवरी को दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था। अदालत ने इससे पहले सात जनवरी को मृत्यु वारंट जारी कर उन्हें मृत्युदंड देने के लिए 22 जनवरी की तारीख निर्धारित की थी।

विनय नाम के दोषी की पैरवी कर रहे अधिवक्ता ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने उसकी ओर से राष्ट्रपति भवन में दया याचिका दायर की है और इस पर ‘पावती’ हासिल की है। सिंह ने कहा, ‘मैंने राष्ट्रपति के समक्ष विनय की दया याचिका दायर की है। मैंने यह स्वयं जाकर सौंपी है।’

विनय ने राष्ट्रपति को भेजी अपनी दया याचिका में कहा है, ‘श्रीमान, मेरी गिरफ्तारी के दिन से जिस तरह से मुझसे बर्ताव हुआ है, उसके चलते मैं कई बार पहले ही मर चुका हूं। इसलिए, मैं इस बारे में बताने के लिए अपने अंतिम अवसर का इस्तेमाल करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि यह पढ़ने के बाद कि मेरा जीवन क्या रहा है, आप मुझपर दया करेंगे।’

तिहाड़ जेल के अधिकारियों को अब निचली अदालत जाना होगा और विनय की दया याचिका के बारे में सूचित कर ‘ब्लैक वारंट’ स्थगित करने की मांग करनी होगी।

अब तक एकमात्र मुकेश ही ऐसा व्यक्ति है जो सभी कानूनी विकल्प आजमा चुका है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दी थी और राष्ट्रपति के इस निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को उसकी अपील खारिज कर दी। न्यायमूर्ति आर भानुमति के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मुकेश की अपील खारिज करते हुए कहा था कि ‘त्वरित विचार और दया याचिका ‘त्वरित’ रूप से खारिज कर देने का यह मतलब नहीं है कि राष्ट्रपति ने इस पर सोच-विचार नहीं किया।

वहीं, अक्षय ने शीर्ष अदालत में सुधारात्मक याचिका दायर की जिस पर पांच न्यायाधीशों की पीठ आज यानी गुरुवार को सुनवाई करेगी। यदि उसकी याचिका खारिज हो जाती है तो उसके पास भी राष्ट्रपति के समक्ष याचिका दायर करने का विकल्प है। मुकेश और विनय के बाद सुधारात्मक याचिका दायर करनेवाला वह तीसरा दोषी है। चौथे दोषी पवन को अभी सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव पिटिशन) दायर करनी है और फांसी से बचने की कोशिश में वह भी अंतिम विकल्प आजमा सकता है। मुकेश को छोड़कर तीनों दोषी राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने की स्थिति में राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत भी जा सकते हैं।

बता दें कि 23 वर्षीय निर्भया से दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया का बाद में 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में निधन हो गया था।

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