फैल रही ये गंभीर बीमारी! हो जाएं सावधान, कहीं आप भी तो नहीं…
सामाजिक जीवन में हम स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। जीवन में खाने-पहनने, घूमने-फिरने और शादी से लेकर करियर जैसे मामलों में ज्यादातर लोग अपने माता-पिता, भाई-बहनों या करीबी दोस्तों से सलाह लेते हैं इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन समस्या तब शुरू होती है, जब कोई व्यक्ति अपने हर काम के लिए दूसरों की सलाह पर निर्भर हो जाए, किसी भी प्रकार के निर्णय लेने के लिए उसे बहुत घबराहट महसूस होती है और वह अपनी मरजी से कोई भी कदम नहीं उठा पाता हैं तों, यह स्थिति उसके लिए चिंता वाली बन जाती हैं। आपको बता दें कि, इन्हीं आदतों की वजह से किसी भी व्यक्ति को आगे आने वाले समय में डीपीडी जैसी मनोवैज्ञानिक समस्या हो सकती है।
डीपीडी क्या है?
आपने अपने करीबी दोस्तों या लोगों के साथ कोई लड़ाई- झगड़ा होते देखा होगा तो जब कुछ ऐसा होता है तो वो इस स्थिति में रोना, लड़ना या घृणा करने लगते है। ऐसे में उस व्यक्ति के लिए अपनी कुछ समस्याओं का हल ढूंढना आसान हो जाता है लेकिन जब वो व्यक्ति हद से ज्यादा किसी के उपर निर्भर हो जाए कि, दूसरों से पूछे बिना कोई भी निर्णय लेने में असमर्थ हो जाए, तो ऐसी स्थिति को डीपीडी यानी “डिपेंडिंग पर्सनैलिटी डिसॉर्डर” कहा जाता है।
डीपीडी खास लक्षण
- आमतौर पर ऐसे लोग दब्बूपन की हद तक धीरज या विन्रम के साथ आज्ञाकारी भी होते हैं।
- डीपीडी से ग्रस्त लोग बहुत भावुक होते हैं और छोटी-छोटी बातों से परेशान हो जाते हैं।
- डीपीडी से ग्रस्त लोग किसी भी खतरे से डर के दूसरों की हर बात मान लेते हैं।
- किसी भी प्रकार के निर्णय लेने से डरते हैं और एक बात को बार-बार पूछते हैं।
- ऐसी लोग बहुत ही शांत स्वभाव के होते हैं और अपनी आलोचना सुनकर बहुत जल्दी उदास हो जाते हैं।
- ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी भी समस्या होती है।
डीपीडी होने की वजह-
- अगर माता-पिता को डीपीडी हो तो संतान को भी ऐसी समस्या हो सकती है।
- जीवन में अकेले पड़ जाने के भय से भी व्यक्ति को यह मनोरोग हो सकता है।
- जिनकी परवरिश अति संरक्षण भरे माहौल में होती है, उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
- युवावस्था में इसकी आशंका सबसे अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में प्रेम, करियर और विवाह आदि से जुड़ी कई उलझनें व्यक्ति के सामने आती है।