लसिथ मलिंगा से नहीं सीखी बुमराह ने यॉर्कर, ऐसे सीखा है सारा क्रिकेट
भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह में खेल को सीखने और उसमें सुधार की जबरदस्त ललक है। उनके बहुत से टीचर भी हैं। भारतीय गेंदबाजी कोच भरत अरुण, साथी गेंदबाज इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और मुंबई इंडियंस के पूर्व खिलाड़ी शेन बॉन्ड, लसिथ मलिंगा और मिशेल जॉनसन। इनके अलावा वह खुद से भी सीखते हैं। बुमराह कहते हैं, ”मैंने जितना भी क्रिकेट सीखा है वह टीवी देख कर सीखा है। आज भी मैं वीडियोज देखता हूं और उसका फीडबैक सुनता हूं। इसके बाद खुद को तैयार करता हूं। मैं लगातार खुद का ही विश्लेषण भी करता हूं।”
बहुत से लोगों का मानना है कि जसप्रीत बुमराह ने यॉर्कर लसिथ मलिंगा से सीखा हैं। लेकिन वह इस पर कहते हैं, ”बहुत से लोगों को लगता है कि मलिंगा ने मुझे यॉर्कर सिखाया है, लेकिन यह सच नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, ”मैदान पर मलिंगा ने मुझे कुछ नहीं सिखाया, मैंने उनसे सिर्फ मन और दिमाग को पढ़ना सीखा है। मैंने उनसे सीखा है कि अलग-अलग परिस्थितियों स कैसे निबटना है, किस तरह गुस्सा होने से बचना है और बल्लेबाज के लिए किस तरह योजना बनानी है।”
जसप्रीत बुमराह अपने यॉर्कर पर बात करते हुए अपने बचपन की यादों में खो जाते हैं। वह अपने बचपन को याद करते हुए बताते हैं कि किस तरह एक बच्चा कई कई घंटे गेंदबाजी का अभ्यास किया करता था। अपने ही घर के कोरिडोर में जब वह गेंदबाजी करता और गेंद दीवार से टकराती तो दो तरह की आवाजें निकलतीं। यहीं अभ्यास करते-करते बुमराह खुद को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए तैयार कर रहा था।
जसप्रीत बुमराह ने कहा, ”यदि मैं क्रिकेट नहीं खेल रहा हूं तो इसका अर्थ है मैं क्रिकेट देख रहा हूं। मुझे गेंदबाजी हमेशा प्रभावित करती है, विकेट लेना, तेज गेंद फेंकना, गिल्लियां उड़ते हुए देखना। मेरे जेहन में ब्रेट ली हमेशा रहता है। मुझे लगता है मैं उनकी तरह गेंदबाजी कर रहा हूं। मैं अपने हीरो को कॉपी करने की कोशिश करता हूं।”
जसप्रीत बुमराह ने गेंदबाजी का कौशल गलियों में क्रिकेट खेल कर सीखा है। रबड़ की गेंद से खेलते हुए। उन्होंने बताया, ”यदि आपको विकेट लेनी है तो आपको यॉर्कर फेंकनी होंगी।” जब बुमराह सात साल के थे तो उनके पिता का निधन हो गया था। उनका और उनकी बड़ी बहन की सारी जिम्मेदारी अब उनकी मां पर थी। बुमराह की मां एक स्कूल टीचर रहीं जो बाद में प्रिंसिपल बन गईं।
जसप्रीत बुमराह ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया, ”जब मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो मेरे पास एक जोड़ी जूते, एक टी-शर्ट थी। जूते भी बहुत अच्छे नहीं थे। मुझे कहीं खेलने जाना होता तो साइकिल पर जाता था। लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। संघर्ष के उन्हीं दिनों ने मुझे बेहतर गेंदबाज बनाया है।”
2013 में टीम इंडिया के कोच जॉन राइट ने जसप्रीत बुमराह को खोजा। इसके बाद मुंबई के कोच ने उन्हें एक टी-20 के दौरान देखा। 18 साल की उम्र में बुमराह को स्टेट लेवल पर खेलने का मौका मिला। मुंबई इंडियंस ने उन्हें बेंगलुरु टीम ज्वाइन करने को कहा, ”जब मैं बेंगलुरु आया तो मेरे पास सिर्फ गुजरात टीम के कपड़े थे। किसी ने मुझे मुंबई इंडियंस की टीम में नहीं देखा था। मुझे गेंदबाजी करने को कहा गया। मैंने सचिन तेंदुलकर, रिकी पोंटिंग और कई अन्य बल्लेबाजों को बॉलिंग की।”
मेरी बॉलिंग के बाद सचिन तेंदुलकर ने कहा था, ”इस गेंदबाज को हिट करना मुश्किल है। मैं उस समय लोगों से बात करने में भी डरता था। लेकिन मैं सुनता बहुत था।” बोलने से बुमराह हमेशा बहुत घबराते थे। लेकिन जब गेंद उनके हाथ में होती है तो यही उनके लिए खुशी के पल होते हैं।