कौन से हैं इंफ्रा के दो कमाई वाले स्टॉक

देश की सड़कें चौड़ी हो रही हैं। रोजाना 2.24 अरब रुपये का टोल का सीधे कलेक्शन हो रहा हो, तो समझिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में असली बुल-रन शुरू हो चुका है। धीमी गति से अवार्डिंग के बावजूद एक्जीक्यूशन को रफ्तार मिल रही है, कमोडिटी कीमतें ठंडी पड़ी हैं और NHAI का 300 अरब का मोनेटाइजेशन प्लान कैश की बारिश करने वाला है।

ऐसे में मोतीलाल ओसवाल रिसर्च डेस्क की नजर में सेक्टर ऑफ वीक इंफ्रास्ट्रक्चर बना है। मोतीलाल ओसवाल इस सेक्टर के कमाई के लिए 2 स्टॉक चुने हैं और टारगेट प्राइस बताया है। तो चलिए इस सेक्टर और इससे जुड़े स्टॉक के बारे में विस्तार से जानते हैं।

तेजी से बढ़ रहा हाइवे इंफ्रा

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर स्थिर विकास के चरण से गुजर रहा है, जिसे निरंतर सरकारी खर्च, बेहतर कार्यान्वयन क्षमता और एसेट मोनेटाइजेशन में बढ़ती गति का समर्थन मिला है।

FY26 के शुरुआती हिस्से में प्रोजेक्ट अवार्डिंग कमजोर रही है, लेकिन हाईवे, फ्रेट कॉरिडोर और टोल ऑपरेशन में गतिविधियों का स्तर स्वस्थ बना हुआ है। दूसरी छमाही में भूमि अधिग्रहण और प्रक्रियात्मक देरी कम होने के साथ अवार्डिंग में तेजी की उम्मीद है, जिससे सेक्टर मजबूत एक्जीक्यूशन साइकिल के लिए तैयार हो जाएगा।

NHAI की अवार्डिंग गतिविधि YTDFY26 में सुस्त रही है। नवंबर 2025 के मध्य तक केवल 504 किमी अवार्ड हुए हैं, जबकि सालाना लक्ष्य 6,376 किमी का है। धीमी शुरुआत का कारण प्रोजेक्ट अवार्ड करने से पहले भूमि उपलब्धता पर अधिक जोर देना और एक्जीक्यूशन को तेज करने पर फोकस बदलना है।

फिर भी निर्माण गति मजबूत बनी हुई है। अप्रैल से मध्य नवंबर 2025 के बीच 2,062 किमी नेशनल हाईवे बनाए गए हैं, जबकि पूरे साल का लक्ष्य लगभग 6,000 किमी है। NHAI ने FY25 में 5,614 किमी बनाकर अपना लक्ष्य पार किया था। साथ ही, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने पूर्वी और पश्चिमी DFC के 2,843 किमी में से 2,741 किमी चालू कर दिया है; दिसंबर 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

FASTag टोल संग्रह मजबूती दिखा रहा है और सेक्टर के एसेट मोनेटाइजेशन रोडमैप का प्रमुख आधार बना हुआ है। जुलाई–अक्टूबर 2025 में टोल वॉल्यूम में सालाना आधार पर लगभग 12% और मूल्य संग्रह में करीब 18% की वृद्धि हुई।

YTDFY26 में दैनिक औसत टोल संग्रह लगभग 2.24 अरब रुपये रहा, जो पिछले साल से 19% अधिक है। अधिक और पूर्वानुमान योग्य टोल आय से NHAI का FY26 मोनेटाइजेशन लक्ष्य 300 अरब रुपये प्राप्त करने में मदद मिल रही है, जो मुख्य रूप से Toll-Operate-Transfer (ToT) और InvIT रूट से पूरा होगा। इस साल 1,472 किमी के 24 एसेट्स को मोनेटाइजेशन के लिए चिह्नित किया गया है और 17वां ToT बंडल 93 अरब रुपये में अवार्ड हो चुका है।

स्टील और एल्यूमिनियम कीमतों में गिरावट से सपोर्ट

कमोडिटी कीमतों में स्थिरता से भी सेक्टर को सहारा मिल रहा है। अप्रैल 2022 के पीक से स्टील कीमतों में करीब 36% और एल्यूमिनियम में 14% की गिरावट आई है, जबकि सीमेंट कीमतें अक्टूबर 2023 के उच्च स्तर से लगभग 16% नीचे बनी हुई हैं। निर्माण गतिविधि बढ़ने और इनपुट लागत स्थिर होने से ठेकेदारों को FY26 में मार्जिन सुधार की गुंजाइश दिख रही है। इसके अलावा, विविध ऑपरेशंस, बड़ा ऑर्डर बुक और मजबूत बैलेंस शीट वाली कंपनियां मजबूत स्थिति में हैं क्योंकि टेंडर पाइपलाइन अभी भी स्वस्थ है।

कुल मिलाकर, भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर मजबूत नींव पर खड़ा है, जिसे स्थिर एक्जीक्यूशन, बढ़ते टोल राजस्व और स्पष्ट मोनेटाइजेशन फ्रेमवर्क का समर्थन प्राप्त है। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के पूरा होने और हाईवे विकास की स्थिर प्रगति के साथ यह सेक्टर अर्थव्यवस्था की वृद्धि, कनेक्टिविटी सुधार और दीर्घकालिक विस्तार के लिए आधार मजबूत कर रहा है।

IRB इंफ्रास्ट्रक्चर – टारगेट प्राइस: 52 रुपये

IRB इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार ऑपरेशनल गति दिखा रहा है, जिसे मजबूत टोल संग्रह, स्थिर BOT एसेट परफॉर्मेंस और InvIT से संबंधित आय में वृद्धि का सहारा है। इसका बड़ा ऑर्डर बुक (जिसमें लंबी अवधि के O&M कॉन्ट्रैक्ट्स हावी हैं) मजबूत एक्जीक्यूशन विजिबिलिटी और स्थिर राजस्व आधार प्रदान करता है। हालिया एसेट मोनेटाइजेशन से बड़ी पूंजी अनलॉक हुई है, जिससे वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है और आगामी BOT व TOT अवसरों में भाग लेने की क्षमता बढ़ी है।

वडोदरा – मुंबई एक्सप्रेसवे HAM प्रोजेक्ट का कमर्शियल लॉन्च जैसी उपलब्धियां IRB की मजबूत एक्जीक्यूशन क्षमता को रेखांकित करती हैं और भविष्य में नकदी प्रवाह की स्थिरता सुनिश्चित करती हैं। प्रबंधन को उम्मीद है कि NHAI के बड़े BOT प्रोजेक्ट्स पर फोकस बढ़ने से ऑर्डरिंग गतिविधि तेज होगी।

बढ़ते टोल पोर्टफोलियो, O&M हिस्सेदारी में वृद्धि और मूल्यवर्धक मोनेटाइजेशन पर निरंतर जोर के साथ IRB विकास को बनाए रखने की अच्छी स्थिति में है। इसका ठोस ऑपरेशनल आधार और बेहतर बैलेंस शीट लचीलापन सकारात्मक दृष्टिकोण को बल देता है।

JSW इंफ्रास्ट्रक्चर – टारगेट प्राइस: 360 रुपये

JSW इंफ्रास्ट्रक्चर अपनी दीर्घकालिक विकास यात्रा को मजबूती दे रहा है, जिसे तरह-तरह के कार्गो प्रोफाइल, बढ़ते थर्ड-पार्टी वॉल्यूम और पूरे देश में पोर्ट व लॉजिस्टिक्स फुटप्रिंट बढ़ाने की केंद्रित योजना का सपोर्ट मिला है। मौजूदा पोर्ट्स में बड़े अपग्रेड और कई ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट सहित क्षमता विस्तार कार्यक्रम कंपनी को भारत के मल्टीमोडल लॉजिस्टिक्स और पोर्ट-आधारित आर्थिक विकास के प्रयासों से लाभ उठाने की स्थिति में लाता है।

प्रोजेक्ट एक्जीक्यूशन समय पर है और कोलकाता कंटेनर टर्मिनल, JNPA लिक्विड टर्मिनल और पूर्वी तट विस्तार जैसे एसेट भविष्य में वॉल्यूम बढ़ाएंगे।

पोर्ट बिजनेस के अलावा JSW इंफ्रा टर्मिनल्स, रेल एसेट्स और इनलैंड सुविधाओं के माध्यम से एकीकृत लॉजिस्टिक्स नेटवर्क बना रहा है, जिससे ग्राहक वफादारी और लाभप्रदता बढ़ रही है। दोनों तटों पर बढ़ती उपस्थिति, आगामी प्रोजेक्ट्स की स्वस्थ पाइपलाइन और अनुशासित निवेश रणनीति कंपनी की उद्योग स्थिति को और मजबूत करती है।

अनुकूल मांग रुझान, बढ़ती क्षमता और व्यापक कार्गो मिक्स के समर्थन से JSW इंफ्रा भारत के समुद्री और लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम में दीर्घकालिक, स्थायी विस्तार के लिए अच्छी स्थिति में है।

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