चिया सीड्स खाने से पाचन रहेगा चकाचक जाने केसे

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, सही खान-पान पर ध्यान देना मुश्किल हो गया है। इसी वजह से कब्ज और खराब पाचन जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए एक्सपर्ट हमेशा फाइबर रिच भोजन लेने की सलाह देते हैं।
फाइबर, हमारे पाचन तंत्र को साफ रखने और पेट को लंबे समय तक भरा रखने में मदद करता है। बाजार में चिया सीड्स और इसबगोल दोनों ही ‘सुपरफूड’ के रूप में मशहूर हैं, लेकिन सवाल यह है कि इन दोनों ‘फाइबर किंग’ में से क्या बेहतर है और पाचन को चकाचक रखने के लिए किसे चुनना चाहिए? आइए, इनके पोषण तत्वों और फायदों पर एक नजर डालते हैं।
इसबगोल की भूसी खाएं चिया सीड्स
जब बात सिर्फ फाइबर की मात्रा की आती है, तो इसबगोल की भूसी इसमें बाजी मार लेती है। इसबगोल लगभग पूरी तरह से फाइबर ही है, जिसमें अधिकांश मात्रा घुलनशील फाइबर की होती है। घुलनशील फाइबर पानी को सोखकर एक गाढ़ा जेल जैसा पदार्थ बनाता है, जो मल को नरम करता है और कब्ज में तुरंत राहत दिलाता है।
वहीं, चिया सीड्स भी फाइबर का एक बेहतरीन स्रोत हैं, लेकिन इसमें घुलनशील और अघुलनशील फाइबर दोनों का मिश्रण होता है। चिया सीड्स में फाइबर के साथ-साथ प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड और कई जरूरी मिनरल्स भी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
कब्ज से तुरंत राहत के लिए किसे चुनें?
अगर आप पुराने या गंभीर कब्ज से तुरंत राहत पाना चाहते हैं, तो इसबगोल की भूसी सबसे अच्छा विकल्प है। यह अपनी जेल बनाने की क्षमता के कारण आंतों में मल को आसानी से आगे बढ़ाता है और पेट साफ करता है। इसे अक्सर दस्त की स्थिति में भी इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि यह पेट के अतिरिक्त पानी को सोख लेता है। दूसरी ओर, चिया सीड्स का काम पाचन तंत्र को धीरे-धीरे बेहतर बनाना और लंबे समय तक हेल्थ बेनिफिट्स देना है। यह भी कब्ज दूर करता है, लेकिन इसका असर इसबगोल जितना तेज नहीं होता।
ओवरऑल हेल्थ के लिए क्या है ज्यादा बेहतर?
अगर आपका मकसद केवल कब्ज दूर करना नहीं, बल्कि ओवरऑल हेल्थ और पोषण बढ़ाना है, तो चिया सीड्स बेहतर ऑप्शन साबित हो सकते हैं। चिया सीड्स में केवल फाइबर ही नहीं, बल्कि ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्छी मात्रा होती है, जो हार्ट और ब्रेन हेल्थ के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इसके अलावा, इनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भी प्रचुर मात्रा में होते हैं। इसलिए, चिया सीड्स एक ऑल-राउंडर सुपरफूड है, जिसे आप अपनी स्मूदी, ओट्स या दही में डालकर रोजाना इस्तेमाल कर सकते हैं।





