ट्रंप का ‘टैरिफ बम’ पड़ा उल्टा, चीन पर और बढ़ी अमेरिका की निर्भरता

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की चीन के साथ टैरिफ नीति अमेरिका के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है। चीन पर टैरिफ कम करने और सहयोगी देशों पर बढ़ाने से चीन को अमेरिकी बाजार में आसान पहुंच मिल गई है। अमेरिकी कंपनियां चीन पर और भी ज़्यादा निर्भर हो रही हैं। चीन हर अमेरिकी दबाव का जवाब दे रहा है, जिससे उसकी स्थिति और मजबूत हो रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप का चीन के साथ किया नया डील बीजिंग के लिए तो फायदेमंद साबित हो रहा है, लेकिन अमेरिका के लिए नुकसानदेह। बढ़ते व्यापार युद्ध को शांत करने के लिए ट्रंप ने चीन पर लगी 20% फेंटानिल से जुड़ी टैरिफ को आधा कर दिया और कई बड़ी चीनी कंपनियों पर लगने वाले प्रतिबंधों को टाल दिया।

वहीं दूसरी ओरट्रंप ने कनाडा जैसे सहयोगी देशों पर और ज्यादा टैरिफ बढ़ा दिए। नतीजा यह हुआ कि चीन को अमेरिकी बाजार तक सस्ता और आसान रास्ता मिल गया, जबकि अमेरिकी उद्योग और कामगारों पर इसका नकारात्मक असर पड़ा।

ट्रंप की योजना उल्टी पड़ी

ट्रंप का मुख्य लक्ष्य था चीन की मैन्युफैक्चरिंग ताकत को कमजोर कर अमेरिका की उद्योग व्यवस्था को फिर से मजबूत करना। लेकिन हुआ उल्टा। अमेरिकी कंपनियां अब चीन से बाहर निकलने के बजाय वापस उसी पर निर्भर हो रही हैं। वॉशिंगटन के व्यापारी ट्रैविस मैकमास्टर ने कहा, “मैं अब चीन से बाहर निकलने की कोशिश में और समय नहीं गंवाऊंगा।”

आर्थिक विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रंप के लगातार बदलते टैरिफ ने भरोसा तोड़ा है। अब कई देशों को अमेरिका एक अस्थिर साझेदार लग रहा है, जबकि चीन ने लंबी रणनीति से खेलते हुए अपनी पकड़ मज़बूत कर ली है।

‘डिकपलिंग’ की जगह बढ़ी चीन पर निर्भरता

ट्रंप के भाषण कुछ भी कहें, लेकिन उनके कदमों ने चीन को और मजबूती दी है। चीन पर टैरिफ अब कई सहयोगी देशों से कम हैं। चीन का ‘रेयरअर्थ’ नियंत्रण बरकरार हैऔर अमेरिकी कंपनियां चीन से कम नहीं, बल्कि ज़्यादा जुड़ रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक ब्रैड सेट्सर ने कहा, “यह टैरिफ नीति चीन से उद्योग हटाने की बजाय उसी में और फंसा रही है।” वहीं यूएस-चाइना बिजनेस काउंसिल के सीन स्टीन का कहना है, “कहीं और चीन जैसी उत्पादन व्यवस्था नहीं मिलती।”

चीन कैसे पलटवार कर रहा है

चीन अब हर अमेरिकी दबाव का जवाब दे रहा है, चाहे सोयाबीन हो या सेमीकंडक्टर।जब ट्रंप ने 100% टैरिफ की धमकी दी, तो चीन ने अपने बंदरगाह शुल्क बढ़ा दिए।जब अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगे, तो चीन ने एनविडिया और क्वालकॉम जैसी कंपनियों पर जांच शुरू कर दीऔर जब ट्रंप ने फेंटानिल को लेकर दबाव डाला, तो चीन ने सीमित सहयोग के बदले टैरिफ में बड़ी राहत हासिल कर ली।

रेयर अर्थ पर चीन की पकड़

दुनिया के 85% रेयर अर्थधातु चीन के नियंत्रण में हैं, जो मोबाइल से लेकर जेट तक हर चीज में जरूरी हैं।ट्रंप ने 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, लेकिन चीन ने संकेत दिया कि वह आपूर्ति रोक सकता है, जिससे अमेरिकी टेक और ऑटो उद्योग ठप हो जाता।

सहयोगी देशों पर बढ़ा बोझ

ट्रंप ने भारत, ब्राज़ील और कनाडा जैसे सहयोगियों पर चीन से ज्यादा टैरिफ लगा दिए।भारत और ब्राज़ील पर 50% तक,कनाडा पर 35%,जबकि चीन के फेंटानिल पर सिर्फ 10%। यह टैरिफ नीति अमेरिका के दोस्तों को नुकसान पहुंचा रही है और चीन को राहत दे रही है।

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