बांग्लादेश में हिंदू-ईसाइयों पर हमलों की संयुक्त राष्ट्र में आलोचना

यूएन मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की गूंज सुनाई दी। गुइमारा में सामूहिक दुष्कर्म के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मूल निवासियों पर सेना की फायरिंग में तीन की मौत हुई। अधिकार समूह निदेशक सुहास चकमा ने बताया कि पिछले एक साल में 637 मॉब लिंचिंग और 2,485 हमले धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हुए।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में बांग्लादेश के चटगांव पहाड़ी क्षेत्र के गुइमारा में मूल निवासियों के हत्याकांड का मुद्दा उठा। देश में हिंदू, ईसाई व अन्य अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया जा रहा है। गुइमारा में एक युवती से हुए सामूहिक दुष्कर्म में न्याय न मिलने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे मूल निवासियों पर बांग्लादेशी सेना की अंधाधुंध फायरिंग पर अधिकार-जोखिम विश्लेषण समूह के निदेशक सुहास चकमा ने सत्र को संबोधित किया। वह बोले, इस हत्याकांड में 3 मूल निवासी मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।

यह घटना 23 सितंबर की है। चकमा ने कहा, पिछले एक साल में, बांग्लादेश के भीतर 637 मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुईं, 878 पत्रकारों को निशाना बनाया गया, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ 2,485 हिंसक घटनाएं हुईं और 5,00,000 से अधिक राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए गए।

इन सभी मामलों में यहां के हिंदू, ईसाई व अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया। चकमा ने इन घृणा अपराधों की निंदा की। वह बोले, मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने भीड़ द्वारा मारपीट, दुष्कर्म, राजनीतिक उत्पीड़न, राजनीतिक नेताओं पर हमले और अन्य हिंसक कृत्यों में वृद्धि को उजागर करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सभी सदस्यों को भी बर्खास्त कर दिया।

एनएचआरसी के नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सुहास चकमा ने कहा, बांग्लादेश के एनएचआरसी के नए सदस्यों की नियुक्ति नहीं की गई है, जो देश की जिम्मेदारी के प्रति लापरवाही का एक अस्वीकार्य उदाहरण है। चकमा ने मानवाधिकार परिषद से बांग्लादेश से देश में बढ़ते मानवाधिकार उल्लंघनों से निपटने के लिए एनएचआरसी के सभी सदस्यों को तुरंत नियुक्त करने का आग्रह भी किया।

पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड उजागर
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 60वें सत्र की 34वीं बैठक में अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक शोधकर्ता, जोश बोवेस ने पाकिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों और बलूचिस्तान संकट पर चिंताएं जताईं। बोवेस ने पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन का ट्रैक रिकॉर्ड उजागर किया।

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