मध्य प्रदेश: केंद्र के आदेश का उल्लंघन…

मध्य प्रदेश में मेडिकल उपकरण, दवा और लैब टेस्ट का काम करने वाले सप्लायरों पर आयकर विभाग की कार्रवाई जारी है। इनके द्वारा करोड़ों रुपये टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है। इसमें बोगस बिल से लेकर जीएसटी चोरी तक का मामला सामने आया है। अब यह भी बात सामने आ रही है कि विभाग के अधिकारियों के इशारों पर सप्लायराें से करोड़ों रुपये के चायना के सामान की खरीदी की गई, जबकि भारत सरकार के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के वित्त विभाग ने चायना माल की खरीदी नहीं करने के निर्देश दिए थे। दरअसल, नियम यह है कि लैंड बॉर्डर शेयरिंग के तहत भारत की सीमा से लगे देशों से 200 करोड़ से नीचे की खरीदी में सामान नहीं लिया जा सकता है। इसके लिए मध्य प्रदेश के भंडार क्रय नियमों के अनुसार वित्त विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य है। इन नियमों का चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए उल्लंघन किया गया।

2020 में वित्त विभाग ने जारी किया था आदेश

लैंड बॉर्डर शेयरिंग को लेकर भारत सरकार ने 19 नवंबर 2020 को सभी राज्य सरकार को दिशा निर्देश जारी किए थे। इसमें भारत की जमीनी सीमा से लगने वाले देशों से सीधे सामान नहीं खरीदने की बात कही गई है। इसके आधार पर मध्य प्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने सभी विभागों को आदेश जारी कर सरकारी खरीदी प्रक्रिया में नियम का पालन करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉरपारेशन लिमिटेड ने बिना नियमों का पालन किए सप्लायरों से चायना में निर्मित माल खरीदा।

आयकर विभाग की चल रही कार्रवाई

बता दें, मध्य प्रदेश में मेडिकल उपकरण और दवा सप्लायरों के साथ ही लैब टेस्टिंग की सेवा देने वाली एजेंसी पर आयकर विभाग की कार्रवाई चल रही है। इसमें साइंस हाउस के जितेंद्र तिवारी पर जीएसटी लागू नहीं होने के बावजूद 18 प्रतिशत जीएसटी लगा कर भुगतान लिया गया। साथ ही लैब के एनएबीएल रजिस्टर्ड नहीं होने के बावजूद उसने तय से अधिक रेट से करोड़ों रुपये का भुगतान लिया। आयकर विभाग की कार्रवाई की जद में साइंस हाउस, कंथाली और डीसेंट मेडिकल समेत कई सप्लायर आ गए हैं। जांच में बोगस बिलिंग और कर चोरी के मामले का खुलासा हुआ है।

हम भंडार क्रय नियमों का पालन करते हैं

मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के एमडी मयंक अग्रवाल ने कहा कि कार्पोरेशन में मध्य प्रदेश सरकार के भंडार क्रय नियमों के अनुसार खरीदी की जाती है। लैंड बॉर्डर शेयरिंग देश की कंपनी इसमें शामिल होने पर वित्त विभाग से अनुमति ली जाती है।

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker