बिहार: बेतिया में गंडक नदी का कहर, सैकड़ों लोग बेघर

बेतिया के बगहा क्षेत्र में गंडक नदी ने नरहवा गांव में कहर बरपाया है। पिछले एक महीने से लगातार कटाव के चलते अब तक 100 से अधिक घर नदी में समा चुके हैं। ग्रामीण अपने घरों को खुद तोड़कर सामान समेटने और अस्थायी आवास बनाने को मजबूर हैं। गांव की गलियों में अब सन्नाटा पसरा है। जहां पहले बच्चों की किलकारियां गूंजती थीं, वहां अब टूटी दीवारें और मलबे के ढेर नजर आते हैं। लोग ईंट-पत्थर और लकड़ी इकट्ठा करके दूसरी जगह झोपड़ी बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिनके घर और खेत दोनों नदी में बह गए हैं, उनके पास अब सिर्फ खाली जमीन और अधूरे सपने बचे हैं।

ग्रामीणों की पीड़ा

गीता देवी ने कहा कि पिछले एक-दो महीने से नदी कट रही है। लोग अपने घर खुद तोड़ रहे हैं और बच्चों को खाने-पीने की समस्या है। पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। प्रशासन और सरकार की कोई मदद नहीं मिल रही, बस उम्मीद ही बची है। शत्रुघ्न यादव ने कहा कि लगभग एक महीने से कटाव जारी है। अधिकारी आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन स्थायी बचाव का काम अभी तक शुरू नहीं हुआ। उनके खेत और घर दोनों नदी में बह गए, पर किसी ने उनकी बात नहीं सुनी।

हीरा यादव ने बताया कि उनका घर और जमीन नदी में कटकर बह गया। न तो कोई अधिकारी आया और न ही कोई राहत मिली। अब वे पूरी तरह से बेबस हो गए हैं। हरिलाल यादव ने कहा कि उनका घर और खेत दोनों कट गए हैं। सरकार नई बनाने में व्यस्त है, लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है। जो बचाव का काम हो रहा है, वह केवल दिखावा है।

कटाव से तंग आकर कई परिवार गांव छोड़कर पलायन कर चुके हैं। जो बचे हैं, वे खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर हैं। हालात बिगड़ते देख प्रशासन ने नदी किनारे बालू भरी बोरियां डालकर धारा मोड़ने का काम शुरू किया है। अधिकारियों का दावा है कि प्रभावित परिवारों को अस्थायी ठिकाने दिए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इसे अपर्याप्त बता रहे हैं। गौरतलब है कि गंडक नदी का कटाव पश्चिम चंपारण और आसपास के इलाकों के लिए हर साल गंभीर संकट बनकर लौटता है। इस बार नरहवा गांव सबसे अधिक प्रभावित है, जहां इंसान, सपने और जिंदगी, सब कुछ लहरों में डूब गया है।

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