टैरिफ से अमेरिकी युवाओं का बंटाधार कर रहे ट्रंप, नहीं दे रहे नौकरी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने ही लगाए टैरिफ की वजह से अमेरिका में भी घिरते नजर आ रहे हैं। लेबर डिपार्टमेंट द्वारा जारी किए आंकड़ों ने राष्ट्रपति ट्रंप के दावों की पोल खोल दी। पिछले महीने संघीय सरकार ने नौकरी में गिरावट को लेकर रिपोर्ट जारी की थी। लेकिन ट्रंप ने उसे नकार दिया था। राष्ट्रपति ने दावा किया था कि रिपोर्ट में धांधली की गई है और फिर उत्पादन के लिए जिम्मेदार अधिकारी को बाहर कर दिया। शुक्रवार को आई रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में बेरोजगारी दर पिछले चार महीने के उच्चतम स्तर पर है।

रिपोर्ट से पता चलता है कि अमेरिका में बेरोजगारी की क्या स्थिति है। लगातार दूसरी बार जारी हुई खराब रोजगार रिपोर्ट ने उस हकीकत की पुष्टि कर दी जिससे ट्रंप बचने की कोशिश कर रहे थे। उनके आर्थिक एजेंडे के बोझ तले श्रम बाजार ठप हो रहा है। और जिस अमेरिका को ग्रेट अगेन बनाने का नारा दिया गया था, वह तनावों का सामना कर रहा है।

4 महीने के उच्चतम स्तर पर बेरोजगारी दर

अपने दूसरे कार्यकाल के आठ महीने पूरे होने पर राष्ट्रपति ट्रंप के हाई टैरिफ और बड़े पैमाने पर निर्वासन नियोक्ताओं पर उल्लेखनीय दबाव डाला है। श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में अर्थव्यवस्था में केवल 22,000 नौकरियां जुड़ीं।

अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर 4.3 प्रतिशत हो गई, जो लगभग चार साल का उच्चतम स्तर है। संशोधित आंकड़ों से पता चला है कि जून में रोजगार में 13,000 की गिरावट आई। यह महामारी कोविड 19 के अंत के बाद से पहली बार नौकरियों का शुद्ध नुकसान है।

विश्लेषकों की मानें तो ट्रंप हैं जिम्मेदारी

न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार विश्लेषकों ने मंदी के लिए कई तरह के कारण बताए हैं। उन्होंने कहा कि लगभग सभी आयातों पर ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने कंपनियों की लागत और उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा दी हैं।

राष्ट्रपति द्वारा पर की गई सख्ती ने कई व्यवसायों के लिए कर्मचारियों को ढूंढना मुश्किल बना दिया है। साथ ही साथ उनकी जरूरत भी कम कर दी है क्योंकि अब उनके पास कम ग्राहक हैं। संघीय सरकार ने सीधे तौर पर नौकरियों में कटौती की है और अनुदानों और अनुबंधों को रद्द कर दिया है जिसका असर निजी क्षेत्र पर पड़ा है।

विश्लेषकों ने कहा कि ट्रंप की लगातार बदलती नीतियों से जुड़ी अनिश्चितता ने कॉर्पोरेट अधिकारियों को नियुक्तियों और निवेश को लेकर ज्यादा सतर्क बना दिया है।

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