भारत से पंगा लेना पड़ा भारी, जरूरी दवाओं के लिए तरस रही शहबाज की पाकिस्तानी जनता

आधिकारिक रूप से निलंबित कर दिया था। इसमें पाकिस्तान को दवा का निर्यात भी शामिल रहा। यही वजह है कि पाकिस्तान दवा भेजी जाने वाली दवाओं का निर्यात पिछले दो महीने से रुका हुआ है। इससे पाकिस्तान को कई दवाई और टीके मिलने में देरी हो रही है।

भारतीय दवा निर्यातकों को पाकिस्तान को दवा भेजने में सीमा शुल्क संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है
नई दिल्ली। पाकिस्तान को दवा निर्यात करने वाले निर्यातकों को दो महीने से अधिक समय से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके पीछे की वजह शिपमेंट पर लगने वाला सीमा शुल्क रहा। दरअसल भारतीय फार्मा कंपनियां सालाना 20 करोड़ डॉलर (करीब 1,754 करोड़ रुपये) से ज्यादा कीमत की दवाइयों का निर्यात करती हैं, जिनमें फॉर्मूलेशन, टीके, बल्क ड्रग्स और एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट शामिल हैं। वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़ोतरी दर पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत रही।

एक प्रमुख दवा निर्यातक के वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को बिजनेसलाइन को बताया, “कश्मीर में पर्यटकों पर हुए आतंकवादी हमले और पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद, इस साल मई में भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी प्रकार के व्यापार को आधिकारिक रूप से निलंबित करने के बाद भी, पाकिस्तान को दवा का निर्यात कुछ हफ्तों तक जारी रहा। हालाँकि, बाद में सीमा शुल्क निकासी रोक दी गई।”

निर्यातक कंपनियाँ तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में फैली हुई हैं। दवा निर्यात पर आधिकारिक रुख के बारे में उद्योग जगत को कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि इन्हें आमतौर पर किसी भी द्विपक्षीय या बहुपक्षीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध से छूट दी जाती है। साथ ही किसी भी अनौपचारिक प्रतिबंध का कोई संकेत भी नहीं मिला है।

सदस्यों की चिंताओं के जवाब में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की एक शाखा फार्मास्यूटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) ने कहा कि पिछले महीने विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) को एक आवेदन मिला है।

जिसमें स्पष्टीकरण मांगा गया है कि क्या पाकिस्तान को सक्रिय औषधि सामग्री (API) और तैयार औषधियों सहित औषधि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने या उसे प्रतिबंधित करने वाली कोई आधिकारिक अधिसूचना मौजूद है। इसमें अधिसूचना की तारीख, यदि कोई हो उसे बताने का अनुरोध किया गया है ताकि उद्योग को प्रतिबंध लागू करने की लास्ट डेट तय करने में मदद मिल सके।

पाकिस्तान को भारतीय दवा का कितना निर्यात
फार्मेक्सिल के डेटा के मुताबिक पाकिस्तान को भारतीय दवा निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में 176 मिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 208 मिलियन डॉलर हो गया था। वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में, दवा निर्यात की मुख्य श्रेणियां फ़ॉर्मूलेशन ($68.83 मिलियन), टीके ($66.67 मिलियन) और बल्क ड्रग्स/एपीआई ($68.83 मिलियन) थीं।

अधिकारी ने पाकिस्तान को दवा निर्यात के संदर्भ में डीजीएफटी की आधिकारिक स्थिति पर स्पष्टीकरण दिया है। उनके मुताबिक, “हमारे सदस्यों (निर्यातकों) को वित्तीय नुकसान से बचाने, अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों के साथ अनुबंध संबंधी उल्लंघनों को रोकने और दवा आपूर्ति में व्यवधान को कम करने के लिए महत्वपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि उद्योग सरकारी नीति का पूरी तरह से अनुपालन को सुनिश्चित करेगा।

निर्यातक उन शिपमेंटों के लिए विशेष प्रक्रिया की भी मांग कर रहे हैं, जहां पाकिस्तानी आयातकों से अग्रिम भुगतान प्राप्त हो चुका है तथा किसी प्रतिबंध से पहले ही ऑर्डर की पुष्टि कर दी गई है।

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