खगोलीय घटना: आसमान में आज दिखेगा शानदार रोशनी का नजारा

आमतौर पर यह जुलाई के मध्य से अगस्त के अंत तक होती है, जबकि 12 या 13 अगस्त के आसपास यह चरम पर होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्सिड्स की घटना सदियों से होती आ रही है और यह पृथ्वी के स्विफ्ट-टटल धूमकेतु के पीछे छोड़े गए धूल के बादल से गुजरने से होती है।
आसमान में मंगलवार और बुधवार को रोशनी का शानदार खगोलीय नजारा दिख सकता है। यह चमकीला शो उल्काओं की बारिश से होगा। इसे पर्सिड्स भी कहा जाता है।
पर्सिड्स बारिश अपने चरम पर हर घंटे 100 उल्कापिंडों को ला सकती है, जिसमें चमकीली धारियां और आग के गोले भी शामिल हैं। नासा ने इसे साल की सबसे लोकप्रिय उल्का बौछार बताया है। नासा के मुताबिक पर्सिड्स उस अवधि को कहते हैं जब उल्का बौछार सक्रिय होती है।
आमतौर पर यह जुलाई के मध्य से अगस्त के अंत तक होती है, जबकि 12 या 13 अगस्त के आसपास यह चरम पर होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्सिड्स की घटना सदियों से होती आ रही है और यह पृथ्वी के स्विफ्ट-टटल धूमकेतु के पीछे छोड़े गए धूल के बादल से गुजरने से होती है। ये उल्कापिंड, जो आमतौर पर रेत के एक कण से भी बड़े नहीं होते, पृथ्वी के वायुमंडल से 36 मील प्रति सेकंड की गति से टकराते ही जल उठते हैं और प्रकाश के चमकीले निशान बनाते हैं। जिनका नाम पर्सियस के नाम पर रखा गया है।
बेहद खास होगा दृश्य
स्विफ्ट-टटल धूमकेतु का व्यास करीब 26 किलोमीटर है और यह 133 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। आखिरी बार यह 1992 में पृथ्वी के पास आया था और अब 2126 में दोबारा आएगा। 11 और 12 अगस्त का शुक्र-बृहस्पति संगम इस बार के खगोलीय नजारे को और खास बना रहा है। इतना करीबी दृश्य लंबे अंतराल में ही देखने को मिलता है। रॉयल ऑब्जर्वेटरी के अनुसार उल्कापिंडों की यह बौछार 24 अगस्त तक जारी रहेगी। इसे देखने के लिए आदर्श समय रात के दो बजे से सुबह चार बजे के बीच है।