भारत बनेगा ‘रेयर अर्थ मैग्नेट’ का हब, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

चिप की तरह महत्वपूर्ण रेयर अर्थ मैग्नेट के लिए आयात पर निर्भर भारत अगले तीन-चार साल में आत्मनिर्भर हो जाएगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन के लिए 7,280 करोड़ रुपये का इंसेंटिव देने का फैसला किया गया।

रेयर अर्थ मैग्नेट की पांच यूनिट लगाई जाएंगी
इस इंसेंटिव से रेयर अर्थ मैग्नेट की पांच यूनिट लगाई जाएंगी जिससे सालाना 6,000 टन रेयर अर्थ मैग्नेट का उत्पादन होने का अनुमान है। सेमीकंडक्टर की तरह ही रेयर अर्थ मैग्नेट भी इलेक्ट्रानिक्स, सुरक्षा, एयरो स्पेस, इलेक्टि्रक वाहन, मेडिकल उपकरण जैसे सेक्टर में होने वाले उत्पादन के लिए काफी महत्वपूर्ण है।

अभी भारत मुख्य रूप से चीन से रेयर अर्थ मैग्नेट का आयात करता है। इस साल के आरंभ में चीन ने अमेरिका के साथ भारत में भी रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। सरकारी स्तर पर बातचीत के बाद भारत की कुछ कंपनियों को फिर से रेयर अर्थ मैग्नेट देने के लिए चीन तैयार हो गया है।

रेयर अर्थ मैग्नेट के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया है
रणनीतिक रूप से इसकी महत्ता को देखते हुए सरकार ने इस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया है। कैबिनेट के निर्णय के अनुसार, अगले दो-तीन वर्षों में रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्माण से संबंधित यूनिट स्थापित की जाएंगी, जिसके बाद घरेलू स्तर पर उत्पादन शुरू होगा।

प्रत्येक यूनिट की 1,200 टन उत्पादन क्षमता होगी और संबंधित कंपनियां इसके लिए स्थान का चयन करेंगी। इस परियोजना का संचालन भारी उद्योग मंत्रालय करेगा। 7,280 करोड़ के इंसेंटिव के माध्यम से पांच यूनिट की स्थापना से कम से कम 21,000 करोड़ के निवेश की संभावना है।

रेयर अर्थ समुद्र किनारे की रेत और पुराने पहाड़ों में पाया जाता है
रेयर अर्थ समुद्र किनारे की रेत और पुराने पहाड़ों में पाया जाता है। समुद्र किनारे पाए जाने वाले रेयर अर्थ हल्के होते हैं, जबकि पहाड़ी वाले भारी होते हैं। इन दोनों को मिलाकर मैग्नेट बनाया जाता है।

रेयर अर्थ में चीन का दबदबा
रेयर अर्थ मैग्नेट अत्यधिक शक्तिशाली स्थायी मैग्नेट होते हैं, जो नियोडिमियम, समेरियम, यूरोपियम, लैंथेनम जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स से बने होते हैं। एक सर्वे के मुताबिक दुनिया के कुल नौ करोड़ टन रेयर अर्थ में से करीब आधा हिस्सा चीन के पास है और इसलिए उसका इस क्षेत्र में दबदबा है।

भारत में रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन के लिए 1950 में सरकारी कंपनी इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आइआरईएल) की स्थापना की गई थी, लेकिन जरूरत महसूस न होने के कारण उत्पादन बढ़ाने का प्रयास नहीं किया गया। भारी उद्योग मंत्रालय से जुड़ी सार्वजनिक कंपनी भेल ने रेयर अर्थ निर्माण से संबंधित आक्साइड को मंगाने के लिए 20 वैश्विक कंपनियों को पत्र लिखा है। ऑस्ट्रेलिया की लाइनस, इलुका और यूके की रेनबो जैसी कई वैश्विक कंपनियों ने भारत के साथ आक्साइड सप्लाई के लिए दीर्घकालिक समझौता करने की इच्छा व्यक्त की है।

गुजरात और महाराष्ट्र में 2,781 करोड़ की दो रेल परियोजनाओं को भी स्वीकृति
कैबिनेट ने गुजरात में द्वारका-कानालुस रेल लाइन के दोहरीकरण और मुंबई महानगर क्षेत्र में बदलापुर और कर्जत के बीच तीसरी एवं चौथी लाइन के निर्माण को भी स्वीकृति प्रदान की। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन परियोजनाओं पर 2,781 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

देवभूमि द्वारका (ओखा)-कानालुस रेल लाइन से द्वारकाधीश मंदिर तक कनेक्टिविटी बेहतर होगी और कोयला, नमक, सीमेंट आदि के परिवहन में भी सहूलियत होगी। 18 मिलियन टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी।

दक्षिण भारत से भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी
उन्होंने कहा कि बदलापुर-कर्जत खंड मुंबई उपनगरीय गलियारे का हिस्सा है और तीसरी और चौथी लाइन परियोजना से क्षेत्र में कनेक्टिविटी में सुधार होगा। इस लाइन से दक्षिण भारत से भी कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

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