छत्तीसगढ़ के शिवालय; अद्भुत है इस मंदिर की महिमा, इस वजह से कहलाये नीलकंठेश्वर महादेव

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित मठपारा में महादेव की 15 फीट ऊंची नीले रंग की प्रतिमा आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस वजह से उन्हें नीलकंठेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है। शुरुआत में यह प्रतिमा खुले आसमान के तले विराजित थी। अब प्रतिमा के ऊपर टीन का शेड लगा दिया गया है, जिससे बरसात में प्रतिमा को कोई क्षति न पहुंचे। सावन में यहां कावड़ियों का तांता लगता है। हजारों की संख्या में कांवड़िया घर, नदी और तालाब से जल लाकर नीलकंठेश्वर महादेव का जलाभिषेक करते हैं। पूरा परिसर हर-हर महादेव की जयकारों से गूंज उठता है।

नीलकंठेश्वर महादेव की महिमा अद्भुत है। बताया जाता है कि यहां जो कोई भी शिवभक्त और श्रद्दालु आता है, बाबा भोलेनाथ उसे खाली हाथ नहीं जाने देते हैं। केवल 12 साल में ही मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल चुकी है। मंदिर के दोनों ओर विशाल तालाब स्थित हैं। पहले यह इलाका काफी वीरान हुआ करता था। घना जंगल था। शिव प्रतिमा बनने के बाद अब यह पर्यटन के रूप में तेजी से विकसित हो रहा है। भोलेनाथ की ऊंची प्रतिमा के सामने नंदी की प्रतिमा भी आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

यहां हर सोमवार को जलाभिषेक करने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। प्रतिमा के नीचे नर्मदेश्वर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। महाशिवरात्रि पर विशेष श्रृंगार किया जाता है। हर सोमवार को आरती के बाद भजन-कीर्तन होता है।

जानें इस मंदिर की खासियत
15 साल पहले मठपारा बस्ती के सामने गणेश पर्व पर हर साल गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती थी। उस दौरान गणेश समिति के सदस्यों ने खुले इलाके में सबसे ऊंची भगवान भोलेनाथ की प्रतिमा बनवाई। कलाकार कृष्णा मूर्ति ने रेत, गिट्टी, सीमेंट से प्रतिमा का निर्माण करवाया।

आगे चलकर मंदिर प्रसिद्ध हो गया और महाशिवरात्रि में शिव विवाह का आयोजन और सावन के महीने में कांवरियों की टोली उमड़ती है। इस मंदिर के आस-पास बेहद सुंदर बगीचा भी है। पास में ही बजरंग बली की विशाल प्रतिमा भी श्रद्दालुओं का मन मोह लेती है।

ऐसे पहुंचे मंदिर
ऐतिहासिक दूधाधारी मठ से कुछ ही दूरी पर और श्रीदूधाधारी अंतरराज्यीय बस स्टैंड भाठागांव के सामने स्थित नीलकंठेश्वर महादेव की 15 फीट ऊंची प्रतिमा श्रद्धालुओं को बरबस ही आकर्षित करती है। रिंग रोड नंबर एक से होकर अंतरराज्यीय बस स्टैंड से महज पांच मिनट में पहुंचा जा सकता है। इसके साथ ही कालीबाड़ी से टिकरापारा और सिद्धार्थ चौक होते हुए भी मंदिर पहुंच सकते हैं।

सावन सोमवार का विशेष धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव की पूजा अर्चना के लिये जाना जाता है। इस दौरान पूरे महीने भगवान महादेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। खास बात ये है कि सावन में पड़ने वाले हर सोमवार का विशेष धार्मिक महत्व होता है। क्योंकि सोमवार भगवान शंकर का दिन होता है। इस दिन शिवभक्त सोमवार का व्रत रखते हैं और इसे ही सावन सोमवार व्रत कहा जाता है।

इस साल सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई 2025 को हुई थी, जिसका समापन 9 अगस्त को होगा। इस दौरान चार सावन सोमवार व्रत पड़ेंगे, जिसमें पहला सावन सोमवार व्रत 14 जुलाई को था। सावन सोमवार का व्रत रखने वाले श्रद्दालुओं पर महादेव की विशेष कृपा होती है। इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और आदि पूजन कार्य करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सावन सोमवार का व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सावन सोमवार व्रत और पूजा विधि
जो लोग सोमवार व्रत पूरे साल रखना चाहते हैं, वे सावन के पहले सोमवार से इसकी शुरूआत कर सकते हैं। सावन सोमवार व्रत के नियमों का पालन करते हुए शिव पूजा करते हैं।
सावन सोमवार का व्रत रखने वाले जातक सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
शिवलिंग पूजन करें। मंत्र आदि का जाप करें।
शिव जी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, गाय का दूध, गंगाजल, भस्म, अक्षत्, फूल, फल, नैवेद्य आदि चढ़ाते हैं।
सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें। शिव चालीसा, शिव रक्षा स्तोत्र पढ़ते हैं। शिव मंत्रों का जाप करते हैं।
व्रती जातकों को झूठ या अपशब्द बोलने, मांस-मंदिरा या नमकयुक्त भोजन से पूरी तरह से परहेज करना चाहिये।
व्रत के दौरान मन, वचन और कर्म से भी शुद्ध और पवित्र रहें। पूरे दिन भगवान शिव का स्मरण करें।
शाम के समय प्रदोष काल में धूप-दीप जलाकर पूजन करें और भगवान शिव की आरती उतारे।
सावन सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करने वालों के दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है। जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ, उनके शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
सावन के सभी सोमवार व्रत रखना चाहिए। इससे आपकी मनोकामना पूरी होगी।

अगले दिन करें व्रत का पारण-
शिवधर्मोक्त शास्त्र के अनुसार संध्याकाले पूजनान्ते विधिना पारणं कुर्यात अर्थात व्रत का पारण संध्या के समय पूजा पूर्ण होने के बाद करना चाहिए। किसी भी व्रत का फल तभी मिलता है जब पारण सही समय और सही विधि से हो। सावन सोमवार व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। व्रत का पारण सूर्योदय (ब्रह्म मुहूर्त) के बाद किया जाता है। सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना परंपरागत माना जाता है।

जानें कब-कब है सावन सोमवार-
पहला सावन सोमवार – 11 जुलाई 2025
दूसरा सावन सोमवार व्रत- 21 जुलाई 2025
तीसरा सावन सोमवार व्रत- 28 जुलाई 2025

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