देहारादून की सड़कों पर ‘काल’ बनकर दौड़ रहे वाहन, एक साल में 164 लोगों की गई जान

दून की सड़कों पर हर रात रफ्तार के शौकीन काल बनकर दौड़ते हैं। शाम ढलते ही नशा और तेज रफ्तार का मेल होता है और सड़कों पर मौत मंडराने लगती है। खासकर दून की राजपुर रोड अब हादसों की सड़क बन चुकी है।

आए दिन यहां तेज रफ्तार वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने या दूसरों को हादसे का शिकार बनाने की घटनाएं होती हैं। न तो रफ्तार के शौकीन बाज आ रहे हैं और न ही पुलिस इन पर नकेल कसने में सफल हो सकी है। रात को दून की प्रमुख सड़कों पर पैदल चलना मौत को दावत देने जैसा हो गया है। वहीं दोपहिया वाहन सवार भी जान हथेली पर रखकर चलते हैं।

कारों और दोपहिया की अंधी दौड़

सवाल यह उठता है कि रफ्तार की इस जंग में युवा जिंदगी कब तक हारती रहेगी। आखिर ऐसा क्या होता है कि दिनभर जाम से बोझिल रहने वाली दून सड़कों पर रात के सन्नाटे के बीच कारों और दोपहिया की अंधी दौड़ शुरू हो जाती है।

सुकून की शामों में होश गंवाने जैसी जिद और हुड़दंग की हद तक जाने वाला शोर भी घुलने लगता है। दूसरे शहरों व राज्यों के लोग भी दून पहुंचते हैं तो सड़कों पर मर्यादा भूलकर रफ्तार के नशे में चूर हो जाते हैं। खासकर लग्जरी कार के स्वामी दिखावे और रौब के लिए भी सड़कों पर अंधाधुंध कार दौड़ाते हैं। यह शगल न सिर्फ रफ्तार का हिस्सा बनने वाले युवाओं की जान पर भारी पड़ता है, बल्कि कई दफा उसकी चपेट में दूसरे मासूम भी आ जाते हैं।

खासकर राजधानी की सड़कों पर बेलगाम वाहनों के जो हालात हैं, वह बाकी वाहनों व पैदल चलने वालों के लिए मौत का सबब बन चुके हैं। पिछले एक वर्ष में दून में कुल 450 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें लगभग 164 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, वहीं 390 गंभीर रूप से घायल हुए।

पुलिस जांच में सामने आया कि इनमें 75 प्रतिशत से अधिक दुर्घटना शराबी चालक और बेलगाम गति के कारण हुई। खास बात यह है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं रात में हुईं, वह भी सुनसान व खाली सड़कों पर। राजपुर रोड, जीएमएस रोड, चकराता रोड, कैनाल रोड, सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाईपास आदि पर रात को वाहनों की रफ्तार रौंगटे खड़े कर देती है।

पर्याप्त संसाधन, फिर भी शराबियों पर लगाम नहीं

दून में ड्रंकन ड्राइविंग पर लगाम लगाने के लिए कुछ वर्ष पहले तक पुलिस संसाधनों के अभाव का रोना रोती रहती थी, लेकिन अब पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद पुलिस कदम नहीं उठा रही। पुलिस के पास वर्तमान में आठ इंटरसेप्टर व 100 से अधिक एल्कोमीटर हैं। इसके बावजूद शराबी चालक बेधड़क सड़कों पर वाहनों को दौड़ा रहे।

शहर में 23 खतरनाक जोन

घंटाघर, दर्शनलाल चौक, प्रिंस चौक, सहारनपुर चौक, तहसील चौक, जीएमएस रोड, बल्लूपुर चौक, बल्लीवाला चौक, मसूरी डायवर्जन, जाखन तिराहा, आरटीओ तिराहा, आइएसबीटी तिराहा, रिस्पना पुल तिराहा, आराघर जंक्शन, रेसकोर्स चौराहा, ओएनजीसी-केडीएमआइपी चौक, किशननगर तिराहा, कारगी चौक, सेंट ज्यूड्स तिराहा, अजबपुर चौक-हरिद्वार बाईपास, लालपुल तिराहा, कमला पैलेस और सर्वे चौक।

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