भारत का Space Science में अलग मुकाम, 2035 तक होगा खुद का अंतरिक्ष स्टेशन: इसरो अध्यक्ष

 भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक अलग मुकाम बनाया है। वहीं 2035 तक भारत का खुद का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने और 2040 में किसी भारतीय को चांद पर उतारने की योजना है।

यह बातें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष विभाग के सचिव डा. वी नारायणन ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में 6वें भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि इसरो चंद्रयान-4 पर भी काम कर रहा है। इसके अलावा शुक्र ग्रह पर भी अध्ययन करने की तैयारी है।

गहरे अंतरिक्ष अन्वेषणों को बढ़ाएंगे आगे

आइआइटी रुड़की के अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (सीएसएसटी) की ओर से मंगलवार को दीक्षांत भवन में 6वें भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन (आइपीएससी-2025) के साथ ही ‘स्थिरता हेतु अंतरिक्ष: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा एवं नीति’ (एस²-स्टैप 2025) पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ इसरो के अध्यक्ष एवं अंतरिक्ष विभाग के सचिव डा. वी नारायणन ने किया। इस मौके पर इसरो के अध्यक्ष डा. वी नारायणन ने कहा कि भारत अत्याधुनिक तकनीकों को विकसित करने में सबसे आगे है। जो हमारे ग्रह मिशनों और गहरे अंतरिक्ष अन्वेषणों को आगे बढ़ाएंगे।

भारत विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में निरंतर विकास कर रहा है। वहीं उन्होंने विज्ञान और तकनीक का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के क्षेत्र में देश विश्व के पांच देशों में शुमार हो गया है और हम न केवल अपने देश बल्कि दूसरे देशों के लिए भी सेटेलाइट तैयार कर रहे हैं।

भारत स्पेस लीडर बन रहा है। उन्होंने बताया कि इसरो वी-20 क्लाइमेट सेटेलाइट को तैयार कर रहा है। इसे 20 देशों के लिए बनाया जा रहा है और भारत इसमें अहम भूमिका अदा कर रहा है। इसरो अध्यक्ष ने कहा कि अंतरिक्ष योजना के तहत देश में अगले तीन वर्ष के दौरान 27 नये सेटेलाइट लांच करने की तैयारी है।

स्पेस साइंस में 34 देशों को दे रहे हम अपनी तकनीक

वहीं हम स्पेस साइंस में अपनी तकनीक 34 देशों को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि विज्ञान के प्रति युवाओं में जागरूकता लाई जा सके। भारत ने आजादी के बाद हर क्षेत्र में विकास किया है। उन्होंने इस दौरान देश के महान विज्ञानी जगदीश चंद्र बोस, होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई और डा. एपीजे अब्दुल कलाम को याद किया।

उन्होंने कहा कि पूर्वजों के त्याग एवं बलिदान से देश को आजादी मिली है। इसलिए उनके बलिदान के महत्व को समझें। अब हम हर क्षेत्र में सतत विकास कर रहे हैं। उन्होंने परमाणु ऊर्जा और एप्लीकेशन के क्षेत्र में हो रहे नवाचार के बारे में भी बताया। उन्होंने बताया कि इसरो दो कमर्शियल राकेट भी लांच करने की तैयारी कर रहा है।

कहा कि नई शिक्षा नीति से युवाओं को विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में काम करने के अधिक अवसर मिल सकेंगे। उनकी क्षमताओं का सही उपयोग हो सकेगा। उन्होंने इसरो के नए कार्यक्रम जैसे-चंद्रयान-4, गगनयान आदि के बारे में भी जानकारी दी।

बतौर विशिष्ट अतिथि भारत कोरिया अनुसंधान एवं नवाचार केंद्र (आइकेसीआरआइ) के निदेशक डा. यंग हो किम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में सहयोगात्मक अनुसंधान स्थिरता सुनिश्चित करने की कुंजी है। भारत-कोरिया साझेदारी वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। उन्होंने एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी एवं नीति में प्रगति पर भारत-कोरिया विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया।

आइआइटी रुड़की के उप निदेशक प्रोफेसर यूपी सिंह और आइएन-स्पेस के निदेशक डा. विनोद कुमार ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत करने में शिक्षा-उद्योग सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

सीएसएसटी के प्रमुख एवं सम्मेलन अध्यक्ष प्रोफेसर संजय उपाध्याय ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन में वैश्विक विशेषज्ञ एवं उद्योग जगत के अग्रणी भविष्य के ग्रहीय मिशनों और सतत अंतरिक्ष प्रथाओं पर चर्चा करेंगे। अंतरिक्ष नवाचार, अंतरिक्ष में एआई और भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम पर चर्चा होगी। बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य स्थायी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों, ग्रहों की खोज और शिक्षा-उद्योग सहयोग पर वैश्विक चर्चाओं को आगे बढ़ाना है।

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