एंटीबायोटिक का प्रभाव हो रहा कम, WHO की रिपोर्ट के बाद बिहार में सर्विलांस की तैयारी
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट है कि एंटीबायोटिक दवाएं समय के साथ-साथ कम प्रभावी हो रही हैं। इसकी बड़ी वजह इन दवाओं का अत्याधिक उपयोग माना गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें तक एकजुट होकर एंटीबायोटिक दवाओं के अति प्रयोग और दुरुपयोग रोकने का आह्वान कर रही हैं।
कुछ दवाओं के सर्विलांस की तैयाारी
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए अब प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने एंटीबायोटिक के कम प्रभावों के कारणों तक पहुंचने के लिए कुछ दवाओं को सर्विलांस पर रखने की तैयारी की है। इसके लिए विभाग वन हेल्थ कार्यक्रम शुरू करने की तैयारी में है।
एंटीबायोटिक दवाओं का कम होता प्रभाव
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, एंटीबायोटिक प्रतिरोध बहुत चिंताजनक स्तर तक बढ़ रहा है, जिससे आम संक्रमणों के इलाज की क्षमता पर खतरा मंडरा रहा है।
निमोनिया, तपेदिक, रक्त विषाक्तता जैसे संक्रमणों का इलाज करना मुश्किल होता जा रहा है, और कभी-कभी असंभव भी, क्योंकि एंटीबायोटिक कम प्रभावी होते जा रहे हैं। जिसे देखते हुए वन हेल्थ कार्यक्रम की शुरुआत की योजना है।
वन हेल्थ कार्यक्रम के तहत क्या होगा?
इस कार्यक्रम के तहत एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट, जल जनित बीमारियों में डायरिया, डिसेंट्री, फ्लोराइड, जिनोटिक बीमारी की दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह क्या है इसका आकलन किया जाएगा।
इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. रणजीत कुमार ने बताया कि मानव स्वास्थ्य पर बेअसर हो रही दवाओं की जांच और सर्विलांस को लेकर साझा रणनीति तैयार की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सर्विलांस के जरिये किसी नतीजे पर पहुंचने के बाद ही इस प्रकार की चुनौती से निपटने के उपायों पर विचार किया जा सकता है और भविष्य में ऐसी किसी भी चुनौती से बचने की रणनीति तैयार की जा सकती है।
हमें बेहतर नतीजों की उम्मीद
सशक्त सर्विलांस सिस्टम बनाया जा रहा है ताकि दवाओं में कम प्रतिरोधक क्षमता के कारणों की तह तक पहुंचा जा सके। हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह कार्यक्रम प्रारंभ होगा और हमें बेहतर नतीजे प्राप्त हो सकेंगे। – डॉ. रणजीत कुमार, इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी
क्या होती है एंटीबायोटिक दवा?
एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग संक्रमणों के इलाज में किया जाता है, लेकिन इनका उपयोग केवल डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए। एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग या दुरुपयोग से एंटीबायोटिक प्रतिरोधकता बढ़ सकती है, जिससे संक्रमणों का इलाज मुश्किल हो सकता है।
एंटीबायोटिक दवाएं वे दवाएं होती हैं जो बैक्टीरिया और अन्य जीवाणुओं को मारने या उनकी वृद्धि को रोकने के लिए उपयोग की जाती हैं। ये दवाएं संक्रमणों के इलाज में मदद करती हैं, जैसे कि निमोनिया, तपेदिक, और रक्त विषाक्तता।
एंटीबायोटिक दवाएं कई प्रकार की होती हैं
- पेनिसिलिन
- सेफलोस्पोरिन
- मैक्रोलाइड्स
- फ्लोरोक्विनोलोन्स
- टेट्रासाइक्लिन्स