सूर्य की लपटों से बच निकला धूमकेतु एटलस जी-थ्री, 1.6 लाख साल बाद आसमान में दिखा दुर्लभ नजारा

धूमकेतु एटलस (सी/2024 जी-थ्री) सूर्य की लपटों से बच निकला है। छोटी सी पूंछ के साथ पश्चिम के आकाश में सूर्यास्त के बाद धुंधला नजर नजर आने लगा है। इसकी चमक माइनस 2.5 मैग्नीयूट आंकी गई है।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान के वरिष्ठ खगोल विज्ञानी डा. शशिभूषण पांडेय ने बताया खोज के बाद से ही यह धूमकेतु विज्ञानियों के लिए खास रहा और इसकी निगरानी शुरू की गई। विज्ञानियों ने इसकी चमक शुक्र (वीनस) ग्रह के बराबर होने का अनुमान जताया था।

सूर्य के सर्वाधिक समीप पहुंचने पर लगभग उतनी ही चमक के साथ नासा की अंतरिक्ष दूरबीन सोहो से इसे देखा गया। जिसका वीडियो भी जारी किया गया था। इसके बाद सोमवार की शाम सूर्य के सर्वाधिक नजदीक पहुंचने के साथ ही यह धूमकेतु उसकी रोशनी में अदृश्य हो गया था।

सूर्य की परिक्रमा कर अपनी कक्षा में रवाना हुआ धूमकेतु

सूर्य के नजदीक पहुंचने पर इसके बच निकलने की संभावना पर भी संशय बना हुआ था, जिस पर अब विराम लग चुका है। इसकी चमक भले ही फीकी नजर आ रही हो लेकिन यह सुरक्षित है और सूर्य से 1,39,87,400 किमी की दूरी से परिक्रमा कर अपनी कक्षा में रवाना हो चुका है।

सूर्यास्त के लगभग सात मिनट बाद इटली के एस्ट्रोफोटोग्राफर एरिक नोर्लूंड ने इसकी तस्वीर कैमरे में कैद की है। जिसमें वह छोटी पूंछ और एक उज्ज्वल नाभिक के साथ नजर आ रहा है।

ब्रिटिश एस्ट्रोनामिकल एसोसिएशन के निक जेम्स का कहना है कि इस धूमकेतु की चमक अब माइनस 2.5 मैग्नीट्यूट से एक सप्ताह बाद संभवतया प्लस थ्री हो जाएगी। यह अनुमान लगाना काफी कठिन है कि धूमकेतु सूर्य के निकटता के बाद अब कैसा व्यवहार करेगा।

दुर्लभ है यह खगोलीय घटना

यह विज्ञानियों की भविष्यवाणी की तुलना में बहुत अधिक चमकीला या फीका भी हो सकता है। इसकी वर्तमान शानदार पूंछ कैसा प्रदर्शन करेगी, इसका पता लगाने का एकमात्र तरीका इस पर नजर रखना है। इस धूमकेतु को पिछले साल खोजा गया था। अध्ययन के बाद पता चला कि वह 1.60 लाख साल बाद सूर्य के नजदीक पहुंच रहा है। जिस कारण यह दुर्लभ खगोलीय घटना में शामिल हो गया।

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