EU के नए नियम लागू, सभी डिवाइस में USB टाइप सी पोर्ट देना अनिवार्य, यूजर्स को होगा फायदा

यूरोपीय संघ (EU) के चार्जिंग पोर्ट को लेकर नए नियम 28 दिसंबर से लागू हो गए हैं। अब कई डिवाइस के लिए सी-टाइप चार्जर का इस्तेमाल करना अनिवार्य कर दिया गया है। नियम के अनुसार, नए स्मार्टफोन, टैबलेट और कैमरों के लिए एक ही चार्जर का उपयोग करना जरूरी हो गया है। ईयू ने कहा कि इससे लागत और ई-वेस्ट कम होगा। साथ में आम यूजर्स को राहत मिलेगी। आइए जानते हैं पूरी डिटेल।

नियम फॉलो करना जरूरी

अब ईयू के 27 देशों में बेचे जाने वाले डिवाइसों में यूएसबी-सी पोर्ट लगाना सभी कंपनियों के लिए जरूरी हो गया है। यूरोपीय संघ द्वारा इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के लिए इस पोर्ट को स्टैंडर्ड के रूप में चुना गया है। यानी किसी भी हाल में मैन्यूफैक्चर्स को अपने डिवाइस में यह पोर्ट शामिल करना ही होगा।

डिवाइस में यूएसबी टाइप-सी अनिवार्य

ईयू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ईयू यानी 27 देशों में बेचे जाने वाले सभी नए मोबाइल फोन, टैबलेट, डिजिटल कैमरे, हेडफोन, स्पीकर, कीबोर्ड और कई अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स को यूएसबी टाइप-सी चार्जिंग पोर्ट से लैस करना होगा। ईयू ने कहा है कि एक चार्जर नियम लोगों के जीवन को आसान बनाएगा। इससे काफी हद तक जीवन सरल हो जाएगा और इससे ई-वेस्ट भी बहुत कम होगा। यूजर्स को हर डिवाइस के लिए चार्जर खरीदने में पैसे नहीं खर्च करने होंगे।

एपल ने किया था विरोध

इस कानून को पहली बार 2022 में अमेरिकी टेक दिग्गज Apple के साथ हुई तकरार के बाद मंजूरी दी गई थी। शुरुआत में एपल ने इन नियमों को मानने में आनाकानी की थी, लेकिन इसके बाद उसने अपने ज्यादातर डिवाइस में यूएसबी पोर्ट देना शुरू कर दिया। बता दें लैपटॉप बनाने वालों के पास 2026 की शुरुआत से ही इस नियम का पालन करने के लिए अतिरिक्त समय होगा।

कितने फायदेमंद हैं नए नियम

रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर डिवाइस पहले से ही इन केबलों का इस्तेमाल करते हैं और जो नहीं करते हैं अब उन्हें भी किसी भी हाल में ऐसा करना होगा। 

  • USB-C पोर्ट 100 वॉट तक चार्ज कर सकते हैं।
  • 40 गीगाबिट प्रति सेकंड तक डेटा ट्रांसफर कर सकते हैं।
  • बाहरी डिस्प्ले को जोड़ने का काम कर सकते हैं।

मंजूरी के समय आयोग ने कहा कि इस कानून से प्रति वर्ष कम से कम 208 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत होगी। साथ ही हर साल एक हजार टन से अधिक इलेक्ट्रॉनिक कचरे में कमी आने की उम्मीद है।

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