पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर अखिलेश मायावती ने जताया दुख

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अखिलेश यादव ने कहा, डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने देश को आर्थिक रूप से मजबूत किया, आज देश में जो बहुत कुछ दिख रहा है, वो पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की वजह से है। उन्होंने आर्थिक नीतियों में जो फैसले लिए, आज उसका नतीजा है कि हम दुनिया में बराबरी पर हैं। वो एक अर्थशास्त्री भी थे, कम बोलते थे लेकिन उस समय उन्होंने जो फैसले लिए, उससे आज पता चलता है कि उन्होंने कितनी सावधानी से वो फैसले लिए… देश के एक अच्छे प्रधानमंत्री के तौर पर उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह का आज रात निधन होने की खबर अति-दुखद। भारत की अर्थव्यवस्था सुधार में उनका खास योगदान रहा। वे नेक इंसान थे। उनके परिवार व सभी चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदना।कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन के निधन दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह जी हमारे लिए अभिभावक और मार्गदर्शक थे, जिन पर हमें सदैव गर्व रहेगा। वे देश के करोड़ों लोगों के लिए आदर्श थे। वे सेवा, सादगी और समर्पण की मिसाल थे। आज करोड़ों आंखें नम हैं। भावभीनी श्रद्धांजलि।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितम्बर 1932 गांव गाह, चकवाल जिला, पंजाब, भारत में हुआ था (आज पंजाब, पाकिस्तान) देश बंटवारे के दौरान पूरा कुछ समय बाद उनका परिवार पाकिस्तान से अमृतसर आकर बस गया था मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर 2024 को 92 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हुआ ।उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरुमुख सिंह था। देश के विभाजन के बाद सिंह का परिवार भरत चला आया। यहाँ पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तथा स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पूरी की। बाद में वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गये। जहाँ से उन्होंने पीएच. डी. की। तत्पश्चात् उन्होंने आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डी. फिल. भी किया। उनकी पुस्तक इंडियाज एक्सपोर्ट ट्रेंड्स एंड प्रोस्पेक्ट्स फॉर सेल्फ सस्टेंड ग्रोथ भारत की अन्तर्मुखी व्यापार नीति की पहली और सटीक आलोचना मानी जाती है।
डॉ॰ सिंह ने अर्थशास्त्र के अध्यापक के तौर पर काफी ख्याति अर्जित की। वे पंजाब विश्वविद्यालय और बाद में प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्राध्यापक रहे। डॉ॰ सिंह भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किये गये। इसके तुरन्त बाद1972 में उन्हें वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया। इसके बाद के वर्षों में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष, रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। भारत के आर्थिक इतिहास में हाल के वर्षों में सबसे उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों का प्रणेता माना गया है। आम जनमानस में ये साल निश्चित रूप से डॉ॰ सिंह के व्यक्तित्व के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। डॉ॰ सिंह के परिवार में उनकी पत्नी गुरशरण कौर और तीन बेटियां हैं।