बेरोजगारों का डाटा खरीदकर ठगी का खेल, युवाओं को ऐसे देते थे नौकरी का झांसा

एसटीएफ ने देश-विदेश की नामी कंपनियों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगने वाले गैंग का खुलासा किया है। ट्रांसपोर्टनगर में ट्रांसपोर्ट कंपनी कार्यालय की आड़ में चल रहे कॉल सेंटर से सरगना समेत दो आरोपी गिरफ्तार किए गए।

एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर के अनुसार, गृह मंत्रालय के रिपोर्टिंग पोर्टल पर हाल में दिग्गज कंपनियों में नौकरी के नाम पर युवाओं से ठगी की शिकायतें मिलीं। पता चला कि इसका सरगना दून में सक्रिय है।

आरोपी न केवल फर्जी सिम कार्ड उपयोग कर रहे थे, बल्कि ऐसी तकनीकी इस्तेमाल कर रहे थे, जिससे उनकी लोकेशन कहीं दूर की आ रही थी। पिछले 15 दिन से पटेलनगर क्षेत्र में एक टीम को लगाया गया था। उसने चिन्हित किया कि दून-सहारनपुर मार्ग पर बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कम्पनी के कार्यालय में यह काम हो रहा है।

वहां दबिश देकर इस गैंग के सरगना 30 वर्षीय इश्विंदर शेरगिल पुत्र आरएस गिल निवासी गांधीग्राम पटेलनगर और 32 वर्षीय विवेक रावत पुत्र विजय रावत मूल निवासी मढाली लैंसडौन पौड़ी हाल निवासी-जैदपुर बदरपुर नई दिल्ली को गिरफ्तार किया गया। मौके से दो लैपटॉप, सात सिम कार्ड, 12 एटीएम कार्ड, सात मोबाइल फोन, दो पासबुक, पांच बैंकों की चेकबुक और चार वॉकी टॉकी सेट भी मिले।

नई दिल्ली से खरीदा गया बेरोजगारों का डाटा

एसटीएफ के अनुसार, इश्विंदर ने बेरोजगारों से संपर्क करने के लिए दिल्ली के एक व्यक्ति से उनका डाटा खरीदा था। वहां से एक-एक सिम कार्ड फर्जी तरीके से सक्रिय कराकर एक-एक हजार रुपये में खरीदे। आरोपियों के कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को यह सिम कार्ड और बेरोजगारों का डाटा दिया गया।

युवाओं को फोन पर झांसे में लेकर वे ऑनलाइन टेस्ट लेते थे। फिर पास बताकर सिक्योरिटी आदि के नाम पर रकम जमा करवाते थे। जैसे ही एक खाते में चार से पांच लाख जमा होते तो फिर आरोपी दूसरे खाते का उपयोग करते थे।

दिल्ली में भी गिरफ्तार हो चुका है सरगना

एसटीएफ के अनुसार, इश्विंदर सिंह उर्फ सन्नी 2019 में साइबर ठगी में बसंत कुंज दिल्ली से जेल गया था। वहां से छूटने के बाद फिर ठगी के कॉल सेंटर में काम करने लगा। वहां उसकी मुलाकात विवेक रावत से हुई।

दोनों ने यहां दून आकर काम शुरू कर दिया। उन्होंने बीजीटीसी बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी नाम से कार्यालय बनाया। सन्नी फाउंडेशन नाम से एनजीओ पंजीकृत कराया, जिसमें तीन-चार ऐसे लड़कों को रोजगार दिया, जो अंग्रेजी जानते थे। फिर देशभर में कॉल कराई जाने लगी।

तेलंगाना-महाराष्ट्र से सर्वाधिक ट्रांजेक्शन

एसटीएफ के अनुसार, जांच में पता चला था, यह गैंग पटेलनगर क्षेत्र से चल रहा है। जिन पांच बैंक खातों में ठग रकम जमा करा रहे थे, वहां रोज 2500 से तीस हजार की ट्रांजेक्शन हो रही थी। यह पैसे जमा होते ही एटीएम कार्ड के जरिए निकाले जा रहे थे। इन बैंक खातों में लगभग सभी राज्यों से रकम जमा हुई। सबसे अधिक ट्रांजेक्शन तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक से हो रही थी।

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