श्री यंत्र की स्थापना के दौरान इन बातों के रखें खास ध्यान, लक्ष्मी जी करेंगी धनवर्षा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की कमी दूर होती है। उनको धन की देवी माना जाता है। कई लोग लक्ष्मी की पूजा करने के साथ ही श्री यंत्र की भी स्थापना घर में करते हैं, जिससे उनकी कृपा बनी रहे। श्री यंत्र स्थापना के कुछ नियम होते हैं, जिनका ध्यान रखने आपको फल जरूर मिलता है।

समझें श्री यंत्र स्थापना की विधि…

श्री यंत्र की स्थापना के समय यह ध्यान दें कि यह साफ-सुथरे लाल कपड़े में ही रखा जाए। पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद यंत्र को घर के मंदिर में स्थापित करें। विधिवत पूजन करते हुए रोली, अक्षत और फूल अर्पित करें।

पूजा के दौरान विशेष रूप से मां लक्ष्मी के ध्यान में “ओम् महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्” मंत्र का जाप करें।

ये है मंत्र का अर्थ

“ओम् महालक्ष्म्यै च विद्महे” का अर्थ है कि हम महालक्ष्मी देवी को जानने और समझने का प्रयास करते हैं। “विष्णु पत्न्यै च धीमहि” का अर्थ है, हम देवी लक्ष्मी, जो भगवान विष्णु की पत्नी हैं, का ध्यान करते हैं। “तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्” का अर्थ है, हम मां लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं कि वह हमें सद्बुद्धि प्रदान करें।

रात्रि के समय श्री सूक्त का पाठ करने से घर में समृद्धि और सुख-शांति आती है।

इन बातों को रखें विशेष ध्यान

श्री यंत्र को घर में स्थापित करने से पहले शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें।
श्री यंत्र को स्थापित करने के लिए घर या ऑफिस की उत्तर-पूर्व दिशा शुभ होती है।
श्री यंत्र को गंदे या फटे कपड़े पर भूलकर भी स्थापित नहीं करना चाहिए।
श्री यंत्र को शुक्रवार के दिन घर पर लाना अच्छा माना जाता है।

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