भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल हुए 44 कैडेट, ACC के 124वें दीक्षा समारोह में दी गई उपाधि
आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) के 44 कैडेट ग्रेजुएट होकर भारतीय सैन्य अकादमी की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। शुक्रवार को अकादमी के चेटवुड सभागार में आयोजित एसीसी के 124वें दीक्षा समारोह में इन कैडेट को उपाधि प्रदान की गई। अकादमी के कमांडेंट ले. जनरल संदीप जैन ने कैडेट को दीक्षित किया।
एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में जांबाज अफसर दिए
आइएमए में अब एक साल का प्रशिक्षण लेकर ये कैडेट बतौर अधिकारी सेना में शामिल होंगे। उपाधि पाने वालों में 19 कैडेट विज्ञान और 25 कैडेट कला वर्ग के हैं। कमांडेंट ले. जनरल संदीप जैन ने अफसर बनने की राह पर अग्रसर इन कैडेट के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
उन्होंने कहा कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में जांबाज अफसर दिए हैं। कहा कि उपाधि पाने वाले कैडेट की जिंदगी का यह एक अहम पड़ाव है। देश की आन, बान और शान बनाए रखने की जिम्मेदारी अब उनके हाथों में होगी। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कैडेट को बधाई देते हुए कहा कि वह अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखें।
कमांडेंट ने कहा कि चरित्र, आत्म-अनुशासन, साहस, प्रेरणा, सकारात्मक दृष्टिकोण और पेशेवर योग्यता एक सफल सैन्य अधिकारी के स्तंभ हैं। इससे पहले एसीसी के प्रधानाचार्य डा. नवीन कुमार ने कालेज की प्रगति रिपोर्ट पेश की। एसीसी विंग के कमांडर ब्रिगेडियर पीयूष खुराना ने सभी कैडेट को बधाई दी।
इन्हें मिला पुरस्कार
चीफ आफ आर्मी स्टाफ मेडल
स्वर्ण- कमलजीत सिंह-अंबाला हरियाणा
रजत- लवजीत सिंह-आरएसपुरा जम्मू-कश्मीर
कांस्य-शिवम उज्जवल-बागपत उप्र
कमांडेंट सिल्वर मेडल
सर्विस- अभिषेक गुलेरिया-बिलासपुर हिमाचल प्रदेश
कला-लवजीत सिंह-आरएसपुरा जम्मू-कश्मीर
विज्ञान-कमलजीत सिंह-अंबाला हरियाणा
कमांडेंट बैनर-बोगरा कंपनी
किचनर कालेज से शुरू हुआ सफर
एसीसी की नींव दि किचनर कालेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिडवुड ने मध्य प्रदेश के नौगांव में रखी थी। 16 मई 1960 में किचनर कालेज आर्मी कैडेट कालेज के रूप में कार्य करने लगा। जिसका उद्घाटन तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमैया ने किया था। यहां से पहला दीक्षा समारोह 10 फरवरी 1961 को हुआ।
वर्ष 1977 में एसीसी को भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। वर्ष 2006 में कालेज आइएमए का अभिन्न अंग बन गया। कालेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। यहां से पासआउट होकर कैडेट आइएमए में जेंटलमैन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।