झारखंड में मंत्रालयों का हुआ बंटवारा, हेमंत सोरेन ने अपने पास रखे अहम विभाग

झारखंड में मंत्रिपरिषद का बंटवारा हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पास कार्मिक, गृह, पथ निर्माण, भवन निर्माण मंत्रालय रखा है। वहीं, राधा कृष्ण किशोर को वित्त विभाग, वाणिज्य कर विभाग, योजना एवं विकास विभाग, संसदीय कार्यविभाग की जिम्मेदारी दी गई है।

दीपक बिरुवा को राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग, परिवहन विभाग।
चमरा लिंडा को अनुसूचित जनजाति अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग।
संजय प्रसाद यादव को श्रम नियोजन प्रशिक्षण कौशल विकास विभाग एवं उद्योग विभाग।
रामदास सोरेन को स्कूली अच्छा एवं साक्षरता विभाग और निबंधन विभाग।
इरफान अंसारी को स्वास्थ्य विभाग, खाद्य सार्वजनिक वितरण उपभोक्ता मामले विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग।
हफीजुल हसन को जल संसाधन विभाग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग।
दीपिका पांडेय सिंह को ग्रामीण विकास, ग्रामीण कार्य एवं पंचायती राज विभाग।
योगेंद्र प्रसाद को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग।
सुदिव्य कुमार को नगर विकास एवं आवास उच्च एवं तकनीकी शिक्षा पर्यटन कला संस्कृति खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग।
शिल्पी नेहा तिर्की को कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग।

संतुलित और समावेशी मंत्रिमंडल

राज्य की बहुप्रतीक्षित हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल ने आखिरकार गुरुवार को अपना आकार ले लिया। मुख्यमंत्री ने अपने पहले ही मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्रियों का पूरा पद भर दिया। इससे पूर्व की सरकार में काफी लंबे समय तक 12वें मंत्री की नियुक्ति नहीं हो सकी थी। इसे लेकर लगातार सवाल उठते रहे थे। वहीं सभी मंत्री पद भरना पूर्ण बहुमत के साथ मिले आत्मविश्वास को बता जा रहा है, मंत्रिमंडल में लगभग सभी प्रमंडलों को साधने का प्रयास किया गया है। नए व पुराने चेहरे का समान सम्मिश्रण रखा गया है।

पांच नए चेहरे में युवा को भी स्थान दिया गया है, वहीं पूर्व में मंत्री रह चुके छह लोगों के अनुभव का लाभ लेते हुए उन्हें भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। नए लोगों के ऊर्जा व जोश के साथ पुराने लोगों के अनुभव के साथ सरकार ठीक से विकास की पटरी पर दौड़े। इसका प्रयास दिखता है। पहली बार मंत्री बनने वालों में झामुमो के लंबे समय तक विधायक रहे व लगभग किसी बड़े अवसरों पर मतदान के दौरान विवादों में घिर जाने वाले चमरा लिंडा को भी मंत्री पद से नवाजा गया है।

यह एक रणनीतिक दूरदृष्टि भी हो सकती है। लगभग सभी प्रमंडल को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया है। संताल को सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व दिया गया है। चार मंत्री बनाए गए हैं। अब जरूरत है कि जितने वादे व योजनाओं की घोषणा की गई थी, वह राज्य की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाए। राजस्व बढ़ाने के साथ जनकल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया जाए। उम्मीद की जानी चाहिए की नए मंत्री राज्य के लोगों की आकांक्षाओं व उम्मीदों को ईमानदारीपूर्वक पूरा करेंगे।

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