महाराष्ट्र में 1995 के बाद सबसे ज्यादा मतदान, 65.2% लोगों ने डाले वोट

महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हुई। इस दौरान राज्य के नागरिकों ने जमकर वोट डाले।। चुनाव आयोग द्वारा बताए गए आंकड़ों के अनुसार राज्य में 65.02 प्रतिशत मतदान हुआ।

ये आंकड़े बुधवार रात 11.45 बजे तक के हैं। 1995 के बाद ये दूसरा मौका है जब राज्य के वोटर्स में इतना उत्साह देखने को मिला। साल 1995 के विधानसभा चुनाव में 71.7 प्रतिशत मतदान हुआ था।

इसी साल देश में लोकसभा चुनाव हुए। लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में 61.39 प्रतिशत वोट पड़े थे। अगर साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत के आंकड़ों पर नजर डालें तो राज्य में 61.4 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

लोगों ने जमकर डाले वोट

इस साल राज्य के विधानसभा चुनाव के दौरान लोगों ने जमकर वोटिंग की है। रिकॉर्ड वोटिंग से राजनीतिक दलों में उत्साह है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं।

महाराष्ट्र में कई बड़ी हस्तियों, राजनेताओं और राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं ने लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग करने का आग्रह किया था। वहीं, कई लोगों ने मतदान केंद्रों पर चुनाव आयोग द्वारा व्यापक व्यवस्थाओं की तारीफ भी की।

भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार बुधवार रात 11:45 तक के मतदान प्रतिशत के आंकड़ो में पता चला कि राज्य के 36 जिलों में सबसे ज्यादा वोटिंग कोल्हापुर में हुई। यहां पर करीब 76.25 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कोल्हापुर में कुल दस विधानसभा क्षेत्र हैं।

वहीं, गढ़चिरौली में 73.68 प्रतिशत और जालना में 72.30 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। हालांकि, मुंबई सिटी जिले में कुल 10 विधानसभा सीटें हैं, जहां पर सबसे कम 52.07 प्रतिशत मतदान हुआ।

उधर चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि पिछले विधानसभा और संसदीय चुनावों के दौरान महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्रों में लगातार कम मतदान को देखते हुए शहरी उदासीनता को दूर करने पर विशेष ध्यान दिया गया।

जरूरी सुविधाएं कराई गईं मुहैया

निर्वाचन आयोग ने कहा, ‘ऊंची इमारतों और आवासीय सोसाइटियों में 1,185 से ज़्यादा मतदान केंद्र बनाए गए थे।’ सीईसी राजीव कुमार के निर्देशों के बाद मतदान केंद्रों पर प्रतीक्षारत मतदाताओं के लिए बेंच और व्हीलचेयर जैसी ज़रूरी सुविधाएं मुहैया कराई गईं।

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले कई जागरूकता और जन-आंदोलन अभियान शुरू किए गए। इस अभियान में कई फिल्मी हस्तियां और चुनाव आयोग के राज्य और राष्ट्रीय प्रतीक शामिल थे। इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य था कि शहरी और युवा मतदाताओं को मतदान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

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