महंगी बिजली बिलों से उपभोक्ताओं को मिलेगी राहत, सेस से वसूली रकम पर भी फैसला

मनेरी भाली हाइड्रो प्रोजेक्ट निर्माण को पावर डेवलपमेंट फंड (पीडीएफ) से दिए गए तीन सौ 41 करोड़ रुपये पर रिटर्न ऑफ इक्विटी वसूलने के अपटेल के फैसले का बिजली उपभोक्ताओं ने जबरदस्त विरोध किया। 

मंगलवार को उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग में हुई सुनवाई के दौरान इंडस्ट्री एसोसिएशन ने साफ किया कि बिजली महंगी करने की बजाय रॉयल्टी, वाटर और ग्रीन सेस से जो भी आज तक वसूली की गई, उसको ब्याज समेत उपभोक्ताओं को लौटाया जाए। उपभोक्ताओं पर किसी तरह का दोहरा बोझ नहीं डाला जाए।

मंगलवार को इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रतिनिधि राजीव अग्रवाल ने कहा कि पहले उपभोक्ताओं से ही पीडीएफ के नाम पर सेस वसूला गया। अब इसी इक्विटी के रूप में दिए गए पीडीएफ के पैसे पर रिटर्न ऑफ इक्विटी के साथ ही डेप्रिशिएशन का भी लाभ दिया जा रहा है। 

इससे पड़ने वाला आर्थिक भार भी आम उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। जबकि आयोग खुद 2008 से लेकर 2011 तक अपने चार आदेशों में इसे खारिज कर चुका है। तब यूजेवीएनएल से कोई आपत्ति नहीं जताई गई। 

पीडीएफ का जो पैसा अभी तक उपभोक्ताओं से लिया गया, उसका क्या उपयोग हुआ। उसका ऑडिट करवाया जाए। आदित्य गुप्ता ने आरोप लगाया है कि यूजेवीएनएल ने अपटेल के सामने गलत तथ्य रखे। 10 गुना भार उपभोक्ताओं पर डाला जा रहा है। यह पीडीएफ ऐक्ट का उल्लंघन है। 

इस फैसले से 3,196 करोड़ का असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। कुमाऊं गढ़वाल चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि शकील सिद्दीकी ने कहा कि आयोग खुद पीडीएफ ऐक्ट का हिस्सा है। पूछा कि, पीडीएफ से मिलने वाले लोन पर कैसे ब्याज मंजूर किया गया? 

रॉयल्टी, ग्रीन और वाटर टैक्स वसूलने का ऐक्ट पूरी तरह अवैध है। केंद्र सरकार खुद इस पर रोक लगा चुकी है। इस फैसले से न उपभोक्ताओं के हित सुरक्षित हैं और न सस्ती बिजली मिलने वाली है। 

राघवेश पांडेय ने भी कहा कि जनता को सुविधा देते हुए नई बिजली परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जाए। नियामक आयोग ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस दौरान कार्यवाहक अध्यक्ष एमएल प्रसाद, सदस्य विधि अनुराग शर्मा, सचिव नीरज सती और निदेशक वित्त दीपक पांडेय भी मौजूद रहे।

यूजेवीएनएल का तर्क 35 पैसे ही पड़ेगा असर

दूसरी ओर, यूजेवीएनएल के निदेशक ऑपरेशन एके सिंह ने तर्क दिया कि यदि पीडीएफ से प्राप्त इक्विटी पर रिटर्न ऑफ इक्विटी सात वर्षों में जारी की जाती है, तो इससे बिजली के बिलों पर 35 पैसे प्रति यूनिट का ही असर पड़ेगा। इस पैसे से 300 मेगावाट लखवाड़, 72 मेगावाट त्यूणी पलासू, 120 मेगावाट की सरकारी भ्योल परियोजना समेत पांच प्रस्तावित पंप स्टोरेज योजनाओं का निर्माण होगा। इससे उत्तराखंड ऊर्जा प्रदेश बनेगा। आम जनता को सस्ती बिजली मिलेगी।

यूजेवीएनएल अपने लाभ से सरकार को दे इक्विटी का पैसा

एसोसिएशन ने साफ किया कि यूजेवीएनएल को सरकार को जो रिटर्न ऑफ इक्विटी लौटानी है, वो अपने प्रॉफिट से ही लौटानी चाहिए। पावर प्रोजेक्ट को तैयार करने में जनता ने सेस के रूप में पैसा दिया है। ये प्रोजेक्ट इतने वर्षों में अपनी लागत का कई गुना निकाल चुके हैं। अब इन प्रोजेक्ट से यूजेवीएनएल सिर्फ मुनाफा कमा रहा है। ऐसे में भुगतान भी इसी मुनाफे से हो।

इंडस्ट्री एसोसिएशन पहुंची उच्चतम न्यायालय

स्टील इंडस्ट्री के प्रतिनिधि पवन अग्रवाल ने बताया कि एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट में वाद दायर कर चुकी है। इस मामले में जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, अपटेल का आदेश न हो। यदि अपटेल का आदेश लागू होता है, तो आयोग जनता को भी रॉयल्टी, ग्रीन और वाटर सेस में वसूला गया पैसा मय ब्याज लौटाना सुनिश्चित करे। अगर यूजेवीएनएल के 3500 करोड़ रुपये आम जनता से वसूले जाने हैं, तो उपभोक्ताओें के भी 30 हजार करोड़ लौटाए जाएं। इस फैसले को लागू करने की बजाय पैसा असेट के रूप में तय किया जाए।

गुपचुप आदेश को लागू करने का आरोप लगाया

इंडस्ट्री एसोसिएशन की ओर से कहा गया कि यूजेवीएनएल की तैयारी अपटेल के फैसले को चोरी-छिपे सीधे लागू कराने की थी। ऊर्जा निगम ने लिखित रूप से सुनवाई का विरोध किया है। जबकि जनता इस फैसले की सबसे बड़ी प्रभावित पक्ष है, उसकी जानकारी में कुछ भी नहीं था।

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