ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग हादसे की होगी CBI जांच, दिल्ली HC ने दिए आदेश

ओल्ड राजेंद्र नगर में यूपीएससी के तीन अभ्यर्थियों की मौत मामले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए। कोर्ट ने कहा कि घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि जनता को जांच के संबंध में कोई संदेह नहीं हो, यह अदालत जांच को सीबीआई को स्थानांतरित करती है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को सिविल सेवा अभ्यर्थियों की मौत की सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नामित करने का भी निर्देश दिया।

दिल्ली के बुनियादी ढ़ांचे पर विचार करने के लिए समिति गठित

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के प्रशासनिक, वित्तीय, भौतिक बुनियादी ढांचे पर फिर से विचार करने के लिए GNCTD के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का निर्देश दिया, जिसमें DDA के उपाध्यक्ष, MCD अध्यक्ष और पुलिस आयुक्त सहित सदस्य शामिल होंगे। समिति को आठ सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी होगी

बता दें, ओल्ड राजेंद्र नगर स्थित राव कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में बारिश का पानी भरने के कारण तीन आईएएस अभ्यर्थियों की मौत मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई।

अधिकारियों को पेश होने का दिया था आदेश

याचिकाकर्ता संगठन कुटुंब की याचिका पर हाईकोर्ट ने बुधवार को एमसीडी व दिल्ली सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए एमसीडी आयुक्त व संबंधित जिला उपायुक्त और जांच अधिकारी को पेश होने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने स्पष्ट संकेत दिया था कि मामले में जवाहदेही तय करने के लिए सख्त आदेश पारित किया जाएगा।

अधिकारी बस एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे: हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि हाल की त्रासदियों से पता चला है कि नागरिक एजेंसियों द्वारा कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने दिल्ली में प्रशासनिक स्थिति की आलोचना करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कई अधिकारी मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल करने के बजाय केवल जिम्मेदारी बदल रहे हैं और एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि उसे अनधिकृत निर्माण की समस्या को सुलझाने के लिए नागरिक अधिकारियों द्वारा किसी भी संरचनात्मक सुधार के बारे में सूचित नहीं किया गया है।

सिविक एजेंसी के पास धन की कमी है: दिल्ली हाईकोर्ट

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि यह निष्कर्ष निकालना गलत नहीं होगा कि दिल्ली की नागरिक एजेंसियों के पास प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए आवश्यक धन की कमी है। अदालत ने कहा कि दिल्ली का अधिकांश भौतिक बुनियादी ढांचा, जैसे कि नालियां लगभग 75 साल पहले बिछाई गई थी और उसकी रखरखाव बेहद खराब है।

इससे पहले 8 अप्रैल को, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि अधिक कुशल समस्या समाधान सुनिश्चित करने के लिए किसी भी एक एजेंसी को जल नालियों को नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, अदालत ने स्थिति की समीक्षा के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट का आदेश दिया।

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