यूपी: बिजनौर में रालोद का कब्जा, चंदन चौहान ने इतने मतों से सपा की दी शिकस्त

लोकसभा चुनाव के पहले चरण में (19 अप्रैल, 2024) को बिजनौर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में मतदान हुआ था। बिजनौर में रालोद से चंदन चौहान, सपा से दीपक सैनी और बसपा से बिजेंद्र सिंह चुनाव  मैदान में रहे।

कौन जीता?

बिजनौर लोकसभा सीट पर रालोद प्रत्याशी और मीरापुर सीट से विधायक चंदन चौहान ने सपा के दीपक सैनी को 37 हजार 508 वोटों से हराकर चुनावी परचम लहराया है। इससे पहले 2009 में इसी सीट पर भाजपा के ही साथ रालोद के गठबंधन में चंदन चौहान के पिता स्व. संजय सिंह चौहान सांसद बने थे।

बिजनौर की जनता का मूड समझना मुश्किल है। बिजनौर वही सीट है, जिससे बसपा सुप्रीमो मायावती और कांग्रेस की मीरा कुमार पहली बार संसद पहुंचीं। यह वही सीट है, जिस पर मायावती, रामविलास पासवान और जयाप्रदा को हार का स्वाद भी चखना पड़ा था।

पांच बड़े मुद्दे (Bijnor lok sabha chunav 2024 Issues)

  • गंगा नदी की बाढ़ की समस्या का समाधान
  • बिजनौर को आने वाले मार्गों का निर्माण
  • गन्ना भुगतान, बेसहारा पशु, उत्पादों के लिए बाजार
  • बिजनौर में औद्योगिक विकास।
  • बिजनौर को धार्मिक व पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना।

यादगार है 1985 का उपचुनाव, जब हारे थे दिग्गज

वर्ष 1985 में हुआ उपचुनाव यादगार है, जिसमें तीन दिग्गज  मैदान में उतरे। इसी चुनाव में कांग्रेस की मीरा कुमार पहली बार यहां से सांसद चुनी गईं। उन्होंने लोकदल प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को हराया। बसपा सुप्रीमो मायावती निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ीं और वह तीसरे नंबर पर रहीं।

1989 में हुए लोकसभा चुनाव में मायावती का सितारा बुलंद हुआ। वह जीतीं और पहली बार लोकसभा पहुंचीं। वर्ष 1991 में फिर से मायावती को हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के मंगलराम प्रेमी ने उन्हें पराजित किया।

बिजनौर का इतिहास

बिजनौर का राजा दुष्यंत से लेकर महाभारत काल तक से गहरा नाता रहा है। यह धरती राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी की गवाह है। महाभारत काल में महात्मा विदुर युद्ध टालने में असमर्थ रहे। निराश होकर वह गंगा के इस पार आकर बस गए।

उन्होंने कुटिया बनाई और युद्ध में मारे गए सैनिकों के परिवार की विधवा महिलाओं और परिवारों के लिए यहीं पर दारानगर (पत्नियों का नगर) बसाया। विदुर कुटी में भगवान श्रीकृष्ण पधारे थे और बथुआ का साग भी खाया। इस कुटिया पर बथुआ का साग आज भी पूरे साल हरा रहता है।

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