अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी की बड़ी हार, कांग्रेस के केएल शर्मा जीते

हाई प्रोफाइल अमेठी सीट पर भाजपा को बड़ा झटका लगा है। स्मृति ईरानी चुनाव हार गई हैं। कांग्रेस के उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को हरा दिया है। स्मृति ईरानी शुरू से ही पीछे चल रही थीं। के एल शर्मा ने करीब एक लाख वोटों से स्मृति ईरानी को हराया है। हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। इस सीट से तीसरी बार स्मृति उतरी थीं। पिछले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को पराजित किया था। अमेठी में पिछले ढाई दशक में पहली बार है जब गांधी परिवार से कोई भी चुनाव मैदान में नहीं उतरा था। गणना के दौरान ही जब लगातार स्मृति ईरानी पीछे चल रही थीं, प्रियंका गांधी ने केएल शर्मा को बधाई भी दे दी थी।

ऐसे बदलता रहा वोट

3.24 PM- कांग्रेस के केएल शर्मा 397538 वोटों के साथ सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने 118471 वोटों की बढ़त बना ली है। बीजेपी की स्मृति ईरानी को अब तक 279067 वोट मिले हैं। वो दूसरे स्थान पर हैं।

12.21 PM- स्मृति ईरानी 50 हजार से ज्यादा वोटों से पीछेे चल रही हैं। स्मृति को 119069 और कांग्रेस  के केएल शर्माा को 169827  वोट  मिले थे। वह 50758 वोटोंं से आगे थे।

11.37 AM-स्मृति ईरानी 87966 ( -39147) केएल शर्मा 127113 (+ 39147) 

10.00 AM- स्मृति ईरानी पिछड़ीं, स्मृति ईरानी 31654 ( -14997), केएल शर्मा 46651 (+ 14997)

8.00 AM- अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी पोस्टल बैलेट में आगे

8.00 AM- अमेठी लोकसभा सीट पर मतगणना शुरू

इस बार बेहद रोचक है मुकाबला

किशोरी लाल शर्मा गांधी परिवार के बेहद नजदीकी रहे और अमेठी रायबरेली में प्रतिनिधि के राजीव गांधी सोनिया गांधी और राहुल गांधी का काम देखते रहे हैं। यह उनके जीवन का पहला चुनाव है। बसपा की ओर से नन्हे सिंह चौहान को उम्मीदवार बनाया गया है। इन तीनों को मिलाकर कुल 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। जिनकी किस्मत ईवीएम में कैद हो चुकी है।

इस बार यहां मुख्य लड़ाई भाजपा और इंडिया गठबंधन के मध्य दिख रही है। हालांकि पिछले चुनाव में भी सपा और बसपा ने कांग्रेस को समर्थन दे रखा था। लेकिन दोनों पार्टियों खुलकर सामने नहीं आई थी जबकि इस बार सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता पूरे चुनाव में साथ ही रहे हैं। कांग्रेस पार्टी की ओर से किशोरी लाल शर्मा को उम्मीदवार वाले बनाया गया था लेकिन पूरे चुनाव की मॉनिटरिंग प्रियंका गांधी खुद कर रही थी उन्होंने लगभग प्रत्येक ब्लॉक में एक सभा भी की और पार्टी प्रत्याशी के लिए समर्थन लूटने के अपील की पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान अशोक गहलोत यहां हफ्ते भर से अधिक समय तक रुके रहे। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे के साथ ही राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी संयुक्त रूप से एक जनसभा को संबोधित किया था। दूसरी ओर  भाजपा ने भी इस सीट पर पूरी ताकत झांकी केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी जहां लगातार कैंपेनिंग करती रही वहीं उनके समर्थन में योगी आदित्यनाथ दो बार रैली करने आए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक जनसभा तथा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह न रोड शो किया था। जबकि नामांकन में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी आए हुए थे।

सभी विधायक भाजपा के पाले में लेकिन संगठन में अंतर्कलह भी दिखी

अमेठी लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें से तीन विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की विधायक थे लेकिन चुनाव के पहले गौरीगंज और अमेठी से जीते सपा विधायकों ने भी अंदरखाने भाजपा के पक्ष में ही समर्थन कर दिया था। जिसके चलते आंतरिक रूप से पार्टी में काफी मतभेद हो गए।पार्टी के कई बड़े नेता जबरदस्त भितरघात में लगे रहे। इसका चुनाव पर कितना असर पड़ा है यह तो 4 जून को ही निश्चित हो पाएगा।

बस तीन बार हारी है कांग्रेस

1967 में बड़ी अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस पार्टी महज तीन बार ही पराजित हुई है। 1967 और 1971 में यहां विद्याधर वाजपेई सांसद रहे।19 77 में संजय गांधी ने चुनाव लड़ा लेकिन इमरजेंसी लहर में वह चुनाव हार गए और जनसंघ से रविंद्र प्रताप सिंह विजयी हुए। 1980 में फिर चुनाव हुआ और उसमें संजय गांधी जीत गए। जीतने के कुछ ही दिन बाद उनके विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई और उसके बाद उनके बड़े भाई राजीव गांधी ने अमेठी की कमान संभाली। राजीव गांधी 1981 1984 1989 में अमेठी से सांसद चुने गए। 1991 में मतगणना से पूर्व राजीव की मृत्यु हो गई। इसके बाद कैप्टन सतीश शर्मा ने चुनाव लड़ा और उन्हें जीत मिली। 1996 में भी कैप्टन सतीश शर्मा यहां से सांसद चुने गए। 1998 में भाजपा उम्मीदवार डॉ. संजय सिंह ने कैप्टन सतीश शर्मा को चुनाव हार दिया। 1999 में सोनिया गांधी ने संजय सिंह को भारी अंतर से पराजित किया। 2004 में सोनिया गांधी ने सीट राहुल गांधी के लिए छोड़ दी और राहुल गांधी पहली बार अमेठी से सांसद चुने गए। 2009 में भी राहुल ही सांसद बने। 2014 में राहुल ने हैट्रिक लगाई। 2014 में भाजपा ने पहली बार अमेठी सीट से स्मृति ईरानी को चुनाव लड़ने के लिए उतारा और उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया। स्मृति ईरानी लगभग 107903 वोटो के अंतर से चुनाव हार गई। चुनाव हारने के बाद भी उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया और उन्होंने अमेठी को अपनी कर्म भूमि बना लिया। जिसका नतीजा 2019 के चुनाव में देखने को मिला और स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 55120 वोटो से चुनाव हराते हुए इतिहास रच दिया। इस चुनाव में स्मृति को 468514 जबकि राहुल को 413394 वोट मिले थे।

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