सोने के गुंबद वाली दरगाह में दफन हुए इब्राहिम रईसी

हेलिकॉप्टर क्रैश हादसे का शिकार हुए ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को गुरुवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। उन्हें सोने के गुंबद वाली दरगाह में दफनाया गया। इस दरगाह का नाम इमाम रज़ा दरगाह है। इसे शिया इस्लाम के पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। इस्लाम के शिया पंथ के अनुयायियों की यह सबसे बड़ी मस्जिद है। इस दरगाह को सदियों से शिया समुदाय के लिए पवित्र माना जाता रहा है। इसी दरगाह में शिया इस्लाम के आठवें इमाम अली-अल-रिदा को सुपुर्द-ए-खाक किया गया था। इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद से जुड़ी एक हदीस के मुताबिक दुख या पाप से ग्रस्त कोई भी व्यक्ति यहां आने से मुक्त हो जाता है और उसे पापों से क्षमा मिल जाती है। 

दिलचस्प बात यह है कि इब्राहिम रईसी ईरान के ऐसे पहले नेता हैं, जिन्हें इस पवित्र दरगाह में दफनाया गया है। रईसी ऐसे पहले सरकारी अधिकारी हैं जिन्हें 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद इस दरगाह में दफन किया गया। इससे पहले 1978 में ईरान के प्रधानमंत्री असदुल्ला आलम को दफन किया गया था। हाल ही में ईरान के मिलिट्री कमांडर हसन फिरोजाबादी को 2021 में इस दरगाह में दफन किया गया था। इब्राहिम रईसी इस मस्जिद की देखरेख भी कर चुके हैं। बीते वर्षों में कुछ समय के लिए इस दरगाह और इससे जुड़ी एक चैरिटी फाउंडेशन की देखरेख के लिए रईसी को नियुक्त किया गया था। उस दौरान रईसी ने मस्जिद की देखरेख का काम किया था। 

इब्राहिम रईसी की अंतिम यात्रा में 62 देशों के प्रतिनधि शामिल हुए थे। भारत की तरफ से उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ गए थे। अंतिम यात्रा में 30 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे। रईसी के निधन पर ईरान में 5 दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। इसके अलावा पाकिस्तान, भारत समेत कई अन्य देशों ने एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया था। इब्राहिम रईसी के साथ ही ईरान के पूर्व विदेश मंत्री आमिर अब्दुल्लाहियान भी मारे गए थे। इस हादसे के चलते ईरान को करारा झटका लगा है। इसकी वजह यह है कि रईसी को देश के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामेनेई के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा था। अब 28 जून को देश में नए राष्ट्रपति के लिए चुनाव का आयोजन होना है।

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