शनि और राहु के बुरे प्रभावों से मिलेगी मुक्ति, 30 मई को मासिक कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा
सनातन धर्म में मासिक कालाष्टमी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और काल भैरव की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि मासिक कालाष्टमी पूजा करने से जातक के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है, क्योंकि भगवान शिव और काल भैरव की पूजा करने से राहु और शनि दोष दूर होते हैं। पंडित हर्षित मोहन शर्मा के मुताबिक, कालाष्टमी व्रत हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है।
कालाष्टमी व्रत पर पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 मई को सुबह 10.13 बजे होगी। वहीं इस तिथि का समापन 31 मई को सुबह 08.08 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि की अनुसार, 30 मई को ही मासिक कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन निशिता मुहूर्त में काल भैरव की पूजा करना शुभ माना जाता है।
ऐसे करें भगवान शिव व काल भैरव की पूजा
- मासिक कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- साफ वस्त्र धारण करने के बाद कालाष्टमी व्रत का संकल्प लें।
- सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें और फिर भगवान काल भैरव की पूजा करें।
- शिव जी का अभिषेक करने के बाद भगवान काल भैरव के सामने दीपक जलाएं।
- भगवान शिव व काल भैरव की आरती के बाद प्रसाद वितरण करें।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।
ॐ भयहरणं च भैरव:।।
ॐ कालभैरवाय नम:।।
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि
ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।