HC से हजारों उम्मीदवारों को मिली राहत, MPPSC के दो सवालों को बताया गलत, मेरिट लिस्ट दोबारा होगी जारी

मध्यप्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जा रही है राज्य वन सेवा परीक्षा 2023 को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता उम्मीदवारों की ओर से वकील ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी की परीक्षा में पूछे गए पांच सवालों को गलत ठहराया था जिस पर दो सवालों को हाईकोर्ट ने गलत पाया और इसके लिए निर्देश दिए है कि प्री-परीक्षा की मेरिट लिस्ट फिर से बनाई जाए। कोर्ट के इस आदेश के बाद उम्मीदवारों को राहत मिली है। ऐसे में अब राज्य वन सेवा फारेस्ट प्री का रिजल्ट फिर आएगा। बता दें कि राज्य वन सेवा परीक्षा 2023 की मेंस जो 30 जून को प्रस्तावित है उसकी प्री की मेरिट लिस्ट नए सिरे से बनाई जाएगी। उम्मीदवारों की तरफ से हाईकोर्ट में अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने पांच सवाल रखे थे जिसमें दो सवालों को एडमिट किया गया है।

मध्य प्रदेश पीएससी की 229 पदों के लिए प्री-इग्जाम में करीब दो लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। इस परीक्षा में 5589 उम्मीदवार मेंस के लिए पास हुए। दिसंबर 2023 में प्री और जनवरी 2024 में रिजल्ट घोषित हुआ। पीएससी ने और 11 से 16 मार्च को मेंस की परीक्षा भी ले ली। उम्मीदवारों ने इस समय सीमा को बढ़ाने की मांग रखी लेकिन पीएसी ने अपनी तय समय सीमा के अनुसार ही मेंस परीक्षा ले ली। इतने कम दिन के कारण उम्मीदवार लगातार मानसिक पीड़ा में रहे।

उम्मीदवारों ने प्री के सवालों पर आपत्ति लगाई

पीएससी वन परीक्षा में उम्मीदवारों ने प्री के सवालों पर हाईकोर्ट में आपत्ति जताई। उम्मीदवारों के अधिवक्ता ने कोर्ट को वताया की एमपीपीएससी ने उम्मीदवारों से जो सवाल किए थे उसमें एक प्रेस की स्वतंत्रता वाले विलियम बैंटिंक का सवाल और दूसरा कबड्डी संघ के मुख्यालय से जुड़ा था। राज्य वन सेवा में पूछा गया एक सवाल गलत है, जबकि दूसरे सवाल का वैकल्पिक उत्तर सही नहीं है। दोनो सवालों के आधार पर जबलपुर हाईकोर्ट ने पूर्व के आदेश को हटाते हुए कहा कि दोनों सवालों का लाभ केवल हाईकोर्ट आने वाले उम्मीदवार के साथ सभी प्रभावित उम्मीदवार को मिलेगा।

दो सवालों को लेकर पीएससी गलत सभी को मिलेगा फायदा

जबलपुर हाईकोर्ट ने मेंस के पहले की सुनवाई में कहा कि केवल सवालों पर आपत्ति लगाने वाले और हाईकोर्ट आने वालों को ही राहत देंगे, इस आधार पर केवल इन्हें ही मेंस में बैठने की सशर्त पात्रता मिलेगी। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने साफ कहा कि इसका लाभ अब सभी उम्मीदवारों को मिलेगा। दो सवालों को लेकर पीएससी गलत है। चूंकि राज्य वन सेवा मेंस नहीं हुई इसलिए इसका प्री रिजल्ट रिवाइज होगा, दो सवाल के उत्तर अलग से चेक करते हुए फिर मेरिट बनेगी।

हाईकोर्ट जस्टिस ने प्री का रिजल्ट संशोधित करने के निर्देश देते हुए कहा कि वो सभी उम्मीदवार जो इन दो सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वो भी इसका लाभ ले सकते हैं। साथ ही कहा कि इसी आधार पर मेंस परीक्षा हो। लेकिन राज्य सेवा मेंस 2023 हो चुकी है इसलिए इसके लिए अलग से आदेश नहीं हो सकते हैं। जो उम्मीदवार इन दो सवालों के कारण कटऑफ पर अटक गए थे, वह इसी आधार पर साल 2019 की तरह स्पेशल मेंस परीक्षा की मांग कर सकते हैं, क्योंकि तकनीकी रूप से जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश का उन्हें लाभ होगा और दो सवालों के कारण उनके अंक बढ़ेंगे। जो कटऑफ के दायरे में आएगा उसका अधिकार बनता है कि वह पीएससी मेंस दे सके। लेकिन इसके लिए हाईकोर्ट ने अलग से आदेश नहीं दिया है। 

याचिकाकर्ता उमीदवारों के अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने बताया कि मामला 2023 राज्य सेवा से संबंधित है इसमे जो फाइनल आंसर थे वह गलत पाए गये थे। इसको लेकर उमीदवारों के द्वार पिटीशन लगाई गई थी। इसकी फाइनली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई की ओर 2 प्रश्नों को गलत ठहराया है। जिसमे एक प्रश्न प्रेस ओर दूसरा कबड्डी़ को लेकर था इसे कोर्ट ने गलत मानते हुए इसके अंक को दोबारा रिवाइज करने के निर्देश दिए है। इससे उन सभी उमीदवारों को राहत मिलेगी और एक बार फिर से मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।

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