बर्ड फ्लू से सतर्कता के लिए उत्तराखंड में होगी पक्षियों की सैंपलिंग, हर जिले से लाएंगे 50-50 सैंपल

केरल में बर्ड फ्लू फैलने के बाद उत्तराखंड में भी अलर्ट कर दिया गया है। प्रदेश के सभी 13 जिलों में विभिन्न पक्षियों के 50-50 सैंपल लिए जाएंगे। सैंपल एकत्रित करने के बाद उन्हें रुद्रपुर स्थित पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला के माध्यम से भोपाल स्थित हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब में भेजा जाएगा।

सैंपल जांच में पक्षियों में वायरस की पुष्टि होती है तो उसके एक किलोमीटर के दायरे में पक्षियों को मार दिया जाएगा। केरल के अलाप्पुझा जिले में बतखों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। पशुपालन विभाग के अनुसार एवियन इन्फ्लूएंजा (एच-5एन-1) वायरस मुर्गी, कबूतर, कौआ, बतखों समेत किसी भी पक्षियों से इंसानों में भी फैल सकता है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग जलाशयों के समीप प्रवासी पक्षियों की भी निगरानी कर रहा है।

सीरो सैंपलिंग

दरअसल, प्रवासी पक्षियों के संपर्क में आने व उनकी बीट से भी यह वायरस अन्य पक्षियों में फैल जाता है। बर्ड फ्लू की रोकथाम को लेकर अभी तक कोई वैक्सीन भी नहीं बनाई गई है। यही वजह है कि वायरस को खत्म करने के लिए पक्षियों को मारना ही विकल्प है। पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला की संयुक्त निदेशक डा. सपना मिश्रा के अनुसार, वायरस की पुष्टि करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में मौजूद पक्षियों की सीरो सैंपलिंग की जाएगी।

सीरो सैंपलिंग में यह देखा जाता है कि पक्षी के शरीर में एंटीबाडी बन रहे हैं या नहीं। पशुपालन विभाग के अपर निदेशक कुमाऊं उदय शंकर ने बताया कि अभी तक बर्ड फ्लू का कोई मामला सामने नहीं आया है, फिर भी सतर्कता बरती जा रही है। ऊधम सिंह नगर जिले में प्रदेश की पहली बतख हैचरी की भी विशेष निगरानी की जा रही है। पशु चिकित्सक बतखों की रोजाना निगरानी कर रहे हैं।

उत्तराखंड में अभी तक बर्ड फ्लू का कोई मामले सामने नहीं आया है। केरल में पुष्टि के बाद विभाग की ओर से प्रदेश में पूरी सतर्कता बरती जा रही है। सभी जिलों के मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों को सैंपलिंग के निर्देश दे दिए गए हैं। –  विनोद कुमार सुमन, सचिव पशुपालन विभाग

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