पांडवों ने किया था केदारनाथ धाम का निर्माण, बाद में विलुप्त हो गया था मंदिर, जानिए पूरी कथा

केदारनाथ को बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। इस मंदिर के कपाट साल के 6 महीने ही खुलते हैं और 6 महीने मंदिर बंद रहता है। इसलिए जब कपाट खुलते हैं, तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर का नाम केदारनाथ कैसे पड़ा, आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

ऐसे पड़ा केदारनाथ नाम

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी-देवताओं ने राक्षसों से अपनी रक्षा के लिए देवों के देव महादेव से प्रार्थना की। इसलिए भगवान शिव बैल के रूप में प्रकट हुए। इस बैल का नाम “कोडारम” था। बैल में राक्षसों को नष्ट करने की शक्ति थी। बैल के खुरों और सींगों ने सभी राक्षसों को नष्ट कर दिया, जिन्हें भगवान ने मंदाकिनी नदी में फेंक दिया। केदारनाथ नाम इसी कोडारम के नाम से पड़ा।

केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू हैं। इस कारण मंदिर और भी महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण सबसे पहले पांच पांडवों ने किया था, लेकिन समय के साथ यह विलुप्त हो गया। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया।

यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट 10 मई को अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर खुलेंगे। केदारनाथ धाम के कपाट के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट भी 12 मई 2024 को खुलेंगे।

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