मनोकामना पूर्ति के लिए प्रदोष व्रत के दिन ऐसे करें भगवान शिव की आराधना

प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई को पड़ रही है। इस दिन प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस तिथि पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करने की परंपरा है। इस दिन भगवान के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। आइए, जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई को दोपहर 3 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी। इसका समापन 21 मई को शाम 5 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 20 मई को रखा जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय की जाती है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

सूर्य देव को जल चढ़ाएं।

एक चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति विराजित करें।

उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।

भगवान शिव को सफेद चंदन का तिलक लगाएं।घी का दीपक जलाएं।

भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित करें।

इसके बाद दीपक जलाकर मंत्रोच्चार के साथ आरती करें।

प्रदोष के दिन शिव चालीसा का पाठ करना लाभकारी होता है।

अंत में भगवान को उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं।

प्रसाद को लोगों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

शिव पूजन मंत्र

”ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्”।।

”ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्”।।

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