आज तीन शुभयोगों में वैशाख अमावस्या पर होगा भगवान विष्णु का पूजन

सनातन हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। इस बार वैशाख अमावस्या आठ मई को मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इसी महीने में त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। वैशाख अमावस्या पर कुंडली में मौजूद कालसर्प जैसे कष्टकारी दोषों के निवारण के उपाय किये जायेंगे। इस बार वैशाख अमावस्या पर सौभाग्य, सर्वार्थसिद्धि व शोभन योग भी बनने जा रहे हैं। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार अमावस्या पर बन रहा यह योग पूजन,स्नान-दान के लिए शुभकारी होगा। इन योगों में भगवान विष्णु का पूजन करने से अक्षय फल मिलेंगे। वैशाख अमावस्या पर पितृदोष के निवारण के लिए भी उपाय किए जाएंगे।

उदयातिथि से आज

वैशाख के माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ सात मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर हुआ है। इसका समापन आठ मई को सुबह आठ बजकर 51 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि से वैशाख अमावस्या आठ मई को मनाई जाएगी। आठ मई को ही सर्वार्थसिद्धि व शोभन योग रहेगा।मान्यतानुसार इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

यह करेंगे व्रतधारी

वैशाख अमावस्या के दिन श्रद्धालु व्रतधारी ब्रह्म मुहूर्त में जाग कर स्नान करेंगे। भगवान विष्णु को प्रणाम कर व्रत का संकल्प लेंगे। सुबह सूर्य देव को जल का अर्घ्य और तिलांजलि देंगे। सुबह पवित्र नदी में स्नान के दौरान हथेली में तिल रखकर बहती जलधारा में प्रवाहित करेंगे। पंचोपचार के बाद विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। विष्णु चालीसा का पाठ और विष्णु स्तोत्र का जाप होगा। पूजा के बाद दान-पुण्य किया जाएगा।

पितरों को देंगे जलांजलि

वैशाख अमावस्या पर पितरों की भी पूजा की जाएगी। पितरों को जलांजलि देकर प्रसन्न करने के उपाय किये जायेंगे। पितृदोष निवारण के लिए भी पूजन व दान होगा। नर्मदा किनारे पितृकर्म करने के लिए लोग उमड़ेंगे।मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों को जलांजलि देने से पितृकर्म में हुई भूलचूक के दुष्प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। कालसर्प योग निवारण के लिए भी दान व अनुष्ठान किये जाएंगे।

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