MPPSC की चयन प्रक्रिया में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को लेकर SC का बड़ा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले पर मुहर लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की चयन प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाए। इसे राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा के लिए एक अहम आदेश माना जा रहा है। दरअसल, इस मुद्दे को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की दो अलग-अलग डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसले दिए थे। ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन के सहयोग से उन फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। साथ ही पीएससी 2019 के लगभग 200 से अधिक सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने भी एसएलपी दायर की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दो डिवीजन बेंच के परस्पर विरोधाभासी फैसले का पटाक्षेप कर दिया। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किए जाने से संबंधित डिवीजन बेंच क्रमांक-दो के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि अगर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने कोई छूट प्राप्त नहीं की है तो भर्ती के प्रत्येक चरण में उन्हें अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4 (4) को परिभाषित करते हुए कहा कि आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को अंतिम स्टेज में शामिल किया जाना असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने एमपीपीएससी परीक्षा 2019 और राज्य सेवा परीक्षा भर्ती नियम 2015 में शासन द्वारा 20 दिसंबर 2021 को नियम 4 में किए गए संशोधन को संवैधानिक करार दिया। इस नियम में प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अनारक्षित पदों के सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरे जाने का प्रावधान है।

इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट की दो अलग-अलग डिवीजन बेंच ने अलग-अलग फैसले दिए थे। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस सुजॉय पॉल और डीडी बंसल की खंडपीठ ने सरकार द्वारा 17 फरवरी 2020 को राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में किए गए संशोधन को असंवैधानिक घोषित कर एमपीपीएससी परीक्षा 2019 का रिजल्ट दोबारा पूर्व नियमों के अनुसार जारी किए जाने का आदेश दिया था। इस पीठ ने आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के तहत परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को सभी वर्गों के प्रतिभावान अभ्यर्थियों से भरे जाने का आदेश दिया था। वहीं, जस्टिस शील नागू और जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण में शामिल किए जाने की व्यवस्था दी थी।

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