छात्रवृत्ति हड़पने पर बीएड कॉलेज प्रबंधन पर केस, लाखों का हुआ फर्जीवाड़ा
पुलिस ने छात्रवृत्ति घोटाले में डॉ. सुशीला तिवारी बीएड कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए हैं। एसआईटी जांच में छात्रवृत्ति घोटाले की पुष्टि होने पर सोमवार को एसएसआई कविंद्र शर्मा ने मुकदमे दर्ज कराए।
पहले मुकदमे में विद्यालय प्रबंधन पर अध्यनरत छात्रों को धोखे में रखकर छात्रवृत्ति रजिस्टर में रसीदी टिकट पर फर्जी हस्ताक्षर कर लगभग 4,74,630 रुपये की छात्रवृत्ति की राशि हड़पने का आरोप है। दूसरे केस में विद्यालय प्रबंधन पर 2,01,780 हड़पने का आरोप है।
हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में एससी, एसटी, ओबीसी से संबंधित दशमोत्तर छात्रवृत्ति वितरण में बरती गई अनियमितताओं की जांच एसआईटी ने की थी। इसमें एसआईटी ने छात्रवृत्ति वितरण से संबंधित वर्ष 2011 से 2018 तक के छात्रों की सूची प्राप्त की।
इसके बाद भौतिक सत्यापन किया गया। लाभार्थी छात्रों को वर्ष 2011- 2012 से 2017-2018 तक ऑफलाइन व ऑनलाइन छात्रवृत्ति आवंटित हुई थी। सत्यापन में एसआईटी ने डॉ. सुशीला तिवारी बीएड महाविद्यालय सितारगंज में वर्ष 2011-2012 से 2014-2015 तक समाज कल्याण विभाग की ओर से दर्शाए गए कुल 78 लाभार्थी में से शिक्षण संस्थान में अध्ययनरत छात्रों से जानकारी जुटाई।
छात्रा तुलसी राना ने एसआईटी को बताया कि उसने न तो छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया और न ही छात्रवृत्ति प्राप्त की। छात्रा अंशु राना निवासी सितारगंज ने बताया कि उसने बीएड कोर्स पूरा कर लिया है। राहुल देव निवासी सितारगंज ने बताया कि उसे कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली।
पूजा ने भी छात्रवृत्ति मिलने से मना किया। इसके अलावा सुशील कुमार, मनप्रीत कौर, मकसूद अली निवासी बघौरी, अमनदीप कौर निवासी सितारगंज, कमलजीत कौर निवासी नकुलिया, बबीता निवासी बरा किच्छा, भावना निवासी अजीतपुर बरा किच्छा ने भी छात्रवृत्ति नहीं मिलने की जानकारी दी।
संस्थान के लिपिक अजय कुमार सिंह निवासी शक्तिफार्म ने बताया कि प्रबंधक ने छात्रों को बुलाकर रसीदी टिकट पर हस्ताक्षर कराकर उन्हें छात्रवृत्ति बांटी है। कोतवाल भूपेंद्र सिंह बृजवाल ने बताया कि मामले में मुकदमा दर्ज कर विवेचना शक्तिफार्म चौकी इंचार्ज जगदीश तिवारी को सौंप दी गई है। कॉलेज प्रबंधन ने टिप्पणी से इनकार कर दिया।