नवरात्रि अष्टमी-नवमी पर ऐसे करें हवन, जानिए हवन सामग्री और पूजाविधि
शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि है। नवरात्रि की पूजा हवन पूजन और कन्या पूजन करने के पाश्चात्य ही संपूर्ण मानी जाती है। कुछ लोग अष्टमी तो कुछ नवमी तिथि पर हवन करते हैं। वहीं, हवन को सही विधि से करना आवश्यक है। हवन पूजन पंडित जी द्वारा कराई जाने पर शुभ और फलदायक मानी जाती है लेकिन आप खुद भी घर पर आसान विधि से हवन पूजन कर सकते हैं। आइए जानते हैं हवन पूजा का शुभ मुहूर्त, सम्पूर्ण विधि, मंत्र और सामग्री-
नवरात्रि हवन मुहूर्त
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 15, 2024 को 12:11 पी एम बजे
अष्टमी तिथि समाप्त – अप्रैल 16, 2024 को 01:23 पी एम बजे
हवन पूजन मुहूर्त- 11:55 ए एम से 12:47 पी एम (16 अप्रैल)
नवमी तिथि प्रारम्भ- अप्रैल 16, 2024 को 01:23 पी एम बजे
नवमी तिथि समाप्त- अप्रैल 17, 2024 को 03:14 पी एम बजे
हवन पूजन मुहूर्त- 07:30 ए एम से 12:20 पी एम, 02:30 पी एम से 03:13 पी एम (17 अप्रैल)
हवन विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें। हवन कुंड को साफ कर लें। इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड स्थापित करें। पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें। अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें। अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। ऊं आग्नेय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अग्नि देव का ध्यान करें। ऊं गणेशाय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अगली आहुति दें। इसके बाद नौ ग्रहों (ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा) और कुल देवता (ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा) का ध्यान करें। इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति डालें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए। देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए आहुति डालें। अंत में बची हुई हवं सामग्री को एक पान के पत्ते पर एकत्रित कर, पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग आदि रख आहुति डालें। इसके बाद पूरी श्रद्धा के साथ मां की आरती करें। पूरी, हलवा, खीर या श्रद्धानुसार भोग लगाएं। आचवनी करें। क्षमा प्रार्थना करें। सभी को आरती दें और प्रसाद खिलाएं।
हवन पूजन मंत्र
- ऊं आग्नेय नम: स्वाहा
- ऊं गणेशाय नम: स्वाहा
- ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा
- ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा
- ऊं ब्रह्माय नम: स्वाहा
- ऊं विष्णुवे नम: स्वाहा
- ऊं शिवाय नम: स्वाहा
- ऊं दुर्गाय नम: स्वाहा
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
- ऊं महाकालिकाय नम: स्वाहा
- ऊं भैरवाय नम: स्वाहा
- ऊं जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहास्वधा नमस्तुति स्वाहा
- ऊं ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
- ॐ दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।
- ॐ श्रीं ह्रीं दुं दुर्गायै नमः स्वाहा।
- ॐ दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै। ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रा सततं नमः ।। स्वाहा।
हवन सामग्री
नवरात्रि की हवन सामग्री में हवन कुंड, नीम, पंचमेवा, जटा वाला नारियल, गोला, जौ, आम की लकड़ी, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलेठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, कपूर, पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, आदि को शामिल करना चाहिए।