परमात्मा प्रत्येक जीवात्मा के पति है,यही मानवीय जीवन का परम धर्म है,किशोरी शरण जी महाराज

  • पतियों के भी पति है परम पिता परमात्मा,किशोरी शरण जी महाराज

चित्रकूट,परमहंस संत रणछोड़ दास जी महाराज के कर कमलो से जानकीकुंड में स्थापित श्री रघुवीर मंदिर ट्रस्ट बड़ी गुफा में अरविंद भाई मफत लाल की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में चल रही नौ दिवसीय कथा में मिथिला धाम से पधारे परम पूज्य श्री किशोरी शरण मधुकर जी महाराज(मुढिया बाबा सरकार) राम कथा का गान कर रहे है महाराज जी कथा के चौथे दिन अपनी अमृतमय वाणी से देश के विभिन्न प्रांतों से आए कथा श्रोताओं को माता पार्वती भगवान शिव की शादी के बाद माता पार्वती के विदाई की कथा सुनाते हुए बताया कि जब राजा हिमांचल और रानी मैना अपनी पुत्री माता पार्वती की विदाई करते है तो विदाई में दास दासी, सोना चांदी,रथ घोड़े,सोने के बर्तन आदि आदि वस्तुएं देते है फिर भी इतना सब कुछ देने के बाद राजा हिमांचल भगवान शिव के पैर पकड़ कर रोते हुए प्रार्थना करते है कि हे प्रभु मैं आपको कुछ नही दे पाया मैं आपके देने लायक नही हूं इसलिए महाराज जी ने कहा दहेज नहीं लेना चाहिए।महराज जी ने माता मैना के बारे में बताते हुए कहा कि जब उनकी लाडली बेटी माता पार्वती विदा होने लगी तो उन्होंने भगवान शिव के पैर पकड़ रोने लगी और विनय करने लगी मेरी बेटी उमा अत्यंत सुकुमारी और हमारे प्राणों से प्यारी है इससे कभी कोई भूल हो जाय तो प्रभु इसे क्षमा करिएगा मां मैना के ये वचन सुन भगवान भोले नाथ भी भावुक हो गए, मां मैना अपनी प्यारी बेटी माता पार्वती को अपनी गोद पर बैठाकर शिक्षा देते हुई कहती है कि हे बेटी आज से अपने पति के चरणो की सेवा करना पति से बड़ा कोई देवता नही होता और पति की सेवा से बड़ा कोई धर्म नही होता। महाराज जी ने कथा का सार बताते हुए कहा कि जीवात्मा पार्वती है और परमात्मा उसके पति है उन्होंने बताया कि पतियों के भी पति परम पिता परमेश्वर हैं अर्थात प्रत्येक जीवात्मा के पति परमात्मा है यही मानवीय जीवन का परम धर्म है। कथा श्रोताओं में तमाम साधु संत, आम जनमानस, तमाम प्रांतों से पधारे गुरु भाई बहन एवं सदगुरू परिवार के सभी सदस्य उपस्थित रहे।

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