यूपी: बांदा जेल में मुख्तार अंसारी की फिर बिगड़ी तबीयत, पढ़ें पूरी खबर…
माफिया मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में एक बार फिर तबीयत बिगड़ गई। पेट दर्द और मोशन न होने की शिकायत पर जिला अस्पताल से फिजीशियन और सर्जन को बुलाया गया। एनिमा लगाया गया, इसके बाद उसे राहत मिल सकी। मंडल कारागार की तन्हाई बैरक में बंद मुख्तार को इससे पहले मंगलवार को रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। 14 घंटे आईसीयू में रखकर इलाज किया गया, इसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। वहीं, मऊ की अदालत में मुख्तार अंसारी की तरफ से उसकी सुरक्षा की मांग करते हुए जान बचाने की गुहार लगाई गई। कहा गया कि कुछ नहीं हुआ तो उसकी हत्या हो सकती है।
बांदा जेल में बुधवार सुबह मुख्तार अंसारी को मोशन में दिक्कत हुई। अपराह्न साढ़े तीन बजे तक पेट में दर्द और फूलने की शिकायत हुई। इस पर कारागार प्रशासन ने जिला अस्पताल से फिजीशियन डॉ. हृदेश्य पटेल और सर्जन डॉ. अदिति श्रीवास्तव को बुलाया। दोनों डॉक्टर कारागार पहुंचे और माफिया का चेकअप किया। दवाएं देने के बाद मुख्तार को आराम मिला।
डॉ. अदिति ने बताया कि मुख्तार को पेट दर्द और फूलने की शिकायत है। मोशन नहीं हो रहा था। उसे एनिमा लगाया गया, जिसके बाद आराम मिला। खाने में खिचड़ी, दही और पपीता खाने की सलाह दी गई है। डॉ. के मुताबिक हफ्तेभर तक दोपहर एक बजे रूटीन चेकअप को जाएंगी। मुख्तार ने कमजोरी महसूस होने की बात कही है।
कोर्ट से सुरक्षा की गुहार, आवेदन पर आदेश सुरक्षित
उधर, मऊ की अदालत में मुख्तार के वकील ने दूसरी बार उसकी जान को खतरा बताया। कहा कि अगर सुरक्षा की व्यवस्था नहीं की गई तो साजिश रचने वाले हत्या कर देंगे। मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए मामले की सुनवाई करके आदेश को सुरक्षित कर लिया है। एमपी/एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता चौधरी को 20 मार्च को वीसी के दौरान हुई पेशी में मुख्तार ने जान का खतरा बताया था।
मुख्तार के वकील ने 21 मार्च को आवेदन देकर सरकार व जेल प्रशासन सहित अन्य राजनीतिक लोगों पर साजिश करके जान से मारने एवं जहर देने का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई गई थी। मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट ने बांदा जेल से रिपोर्ट तलब किया था। लेकिन जेल प्रशासन द्वारा कोई भी आख्या नहीं दी गई। ऐेसे में बुधवार को दोबारा मुख्तार के वकील ने आवेदन देकर जान की रक्षा की गुहार लगाई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बंदी की तरफ से दिए गए आवेदन पर सुनवाई कर आदेश सुरक्षित रखा है।