UAE: अबू धाबी में चल रहे WTO के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को एक दिन के लिए बढ़ाया, जानिए वजह…

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का मंत्री स्तर का 13वां सम्मेलन संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में चल रहा है। 28 फरवरी को समाप्त होने वाला सम्मेलन अब एक मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है। दरअसल, यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि मुख्य मुद्दों पर चर्चा हो सके और एक नतीजे पर पहुंचा जा सके। 

बताया जा रहा है कि डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक नगोजी ओकोंजो इवेला ने एमसी13 के अध्यक्ष थानी बिन अहमद अल जायौदी और मंत्रियों के साथ बातचीत करने के बाद यह फैसला लिया। इससे पहले मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 28 फरवरी को रात आठ बजे (स्थानीय समय) समाप्त होने वाला था। 

विभिन्न वार्ताओं पर सहमति बनाने के लिए समय

डब्ल्यूटीओ ने एक बयान में कहा, ’28 फरवरी को प्रतिनिधिमंडल प्रमुखों की बैठक में डीजी ओकोंजो-इवेला ने सदस्यों से मंत्रिस्तरीय बैठक में विभिन्न वार्ताओं पर सहमति बनाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पर जोर दिया। इसके साथ ही, इस बात को ध्यान में रखने का आह्वान किया कि सार्थक समझौते करने के लिए समय निकलता जा रहा है।’

26 फरवरी को शुरू हुई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए दुनिया भर के मंत्री और प्रतिनिधि अबू धाबी में एकत्र हुए हैं। इस दौरान वैश्विक व्यापार नियमों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाएगा। 

संगठन में 166 सदस्य देश

लगभग तीन दशक पहले स्थापित वैश्विक निगरानी संस्था डब्ल्यूटीओ में अब भारत सहित 166 सदस्य देश हैं। इस वर्ष, तिमोर-लेस्ते और कोमोरोस को विश्व व्यापार संगठन के सदस्यों के रूप में जोड़ा गया है। डब्ल्यूटीओ का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) साल 2022 में 12-17 जून तक स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित किया गया था।

डब्ल्यूटीओ के 13 वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, भारत ने जोर देकर कहा कि डब्ल्यूटीओ के सदस्यों के लिए डिजिटल औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए सभी नीतिगत विकल्प उपलब्ध होने चाहिए।

वैश्विक ई-कॉमर्स में विकासशील देशों की भागीदारी को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, भारत ने जोर देकर कहा कि वर्तमान में विकसित देशों में स्थित कुछ कंपनियां ई-कॉमर्स के वैश्विक परिदृश्य पर हावी हैं। भारत ने बताया कि विकसित और विकासशील देशों के बीच एक बड़ी डिजिटल खाई है, जो वैश्विक ई-कॉमर्स में विकासशील देशों की भागीदारी को बढ़ाना चुनौतीपूर्ण बनाती है।

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