उत्तराखंड से देश में बड़े बदलाव का आगाज, उत्तराखंड UCC की यह हैं खासियतें
जिस दिन का आखिरकार उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों को इंतजार था, वह क्षण मंगलवार को आ गया, जब मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने समान नागिरक संहिता (यूसीसी) विधेयक विधानसभा के पटल पर पेश किया। इस तरह उत्तराखंड जैसे छोटे से राज्य ने देश में एक बड़े बदलाव की बुनियाद रख दी। धामी इसकी पहल करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री हो गए हैं।
देश की आजादी के बाद से किसी भी प्रदेश में अभी तक समान नागरिक संहिता नहीं है। हालांकि, गोवा में पुर्तगाल के शासनकाल से यह कानून लागू है। गोवा में 1867 में यह कानून लागू हुआ था और 1961 में गोवा का भारत में विलय के साथ ही यह कानून भी अडाप्ट कर लिया गया था, पर गोवा के इस कानून में कुछ खामियां भी हैं, जो वहां रहने वाले सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू नहीं है।
वैसे, समान नागरिक संहिता पर कई दशकों से बहस चल रही है। यहां तक कि पहले जनसंघ और फिर 1980 के दशक में जब भाजपा की स्थापना हुई थी तो यूसीसी का मुद्दा जोर शोर से उठता रहा, लेकिन इसके बाद भी यह मुद्दा सिर्फ बहस तक ही सीमित रहा। अब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने यूसीसी विधेयक विधानसभा के पटल पर पेश कर इतिहास रच दिया।
रिपोर्ट आने के चौथे दिन विधेयक पेश
भाजपा की बड़ी जीत के बाद 23 मार्च, 2022 को दूसरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तत्काल बाद ही धामी कैबिनेट ने पहली ही बैठक में यूसीसी लाने की मंजूरी दे दी थी। मई माह में इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी गठित की। कमेटी ने दो फरवरी, 2024 को मुख्यमंत्री धामी को अपनी रिपोर्ट सौंपी।
विधेयक पेश करके सुर्खियों में आए धामी
यूसीसी विधेयक के पेश करने के साथ ही मुख्यमंत्री धामी देशभर में सुर्खियों में आ चुके हैं। वह भाजपा के तीसरे बड़े मुद्दे को अपने दम पर राज्य में पूरा करने जा रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म कर चुकी है, जबकि पिछले माह अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो चुका है। यूसीसी आने के बाद मुख्यमंत्री धामी का कद पार्टी हाईकमान और आरएसएस में बढ़ गया है।