मुनस्यारी में बर्फबारी में आई कमी से पर्यटन पर पड़ रहा प्रभाव, स्नो स्कीइंग को लेकर भी बढ़ी चिंता
हिमनगरी के नाम से पहचान बनाने वाली मुनस्यारी में अब पर्यटन पर मौसम का ग्रहण लगने लगा है। लगातार दूसरे वर्ष भी यहां होने वाली स्नो स्कीइंग को लेकर संशय बना है। बीते वर्ष मुनस्यारी में हिमपात तक नहीं होना और इस वर्ष मध्य दिसंबर के बाद भी हंसलिंग सहित अन्य चोटियों पर बर्फ नहीं होना हैरान करने वाला है।
मुनस्यारी की पहचान यहां पर होने वाला हिमपात रहा है। लगभग दो दशक पूर्व तक शीतकाल में मुनस्यारी से गिरगांव तक वाहन संचालन बंद हो जाता था। उससे पूर्व तो शीतकाल में मुनस्यारी अलग-थलग पड़ जाती थी। मुनस्यारी के लोग दिसंबर से लेकर मध्य मार्च तक कहीं नहीं जा पाते थे। अब आलम यह है कि बीते वर्ष मुनस्यारी में हिमपात नहीं हुआ।
बर्फबारी कम होने से मार्ग भी नहीं हो पाए बंद
ऊंचाई वाले कालामुनि, बिटलीधार में तक बर्फबारी नहीं होने से एक दिन भी मार्ग बंद नहीं रहा। कमोवेश इस बार भी मौसम अभी तक इसी तरह के संकेत दे रहा है। मुनस्यारी में केएमवीएन द्वारा विगत 32 वर्षों से स्नो स्कीइंग कराई जा रही है। पिछले कुछ वर्षों से मुनस्यारी तक होने वाली स्नो स्कीइंग बिटलीधार, बलाती तक ही होने लगी है।
जब 31 साल बाद नहीं हो सकी थी स्नो स्कीइंग
हद तो बीते वर्ष हो गई। मुनस्यारी में हिमपात के नाम पर मात्र हिमकण गिरे और 31 वर्ष बाद स्नो स्कीइंग नहीं हो सकी। खलिया टॉप में ही अन्य संस्था ने कुछ दिन की स्नो स्कीइंग कराई। खलिया टॉप तक आम लोगों के स्कीइंग के लिए पहुंच पाना संभव नहीं है।
मुनस्यारी बाजार तक होती थी स्नो स्कीइंग
वर्ष 1991 तक स्नो स्कीइंग मुनस्यारी बाजार तक जहां वर्तमान में केएमवीएन का आवास गृह है वहां तक होती थी। अब यहां से सड़क मार्ग से छह किमी दूर बलाती के पास तक स्कीइंग होती है।